राहत प्रबंधों पर जोर

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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देश के अधिकांश राज्य इस समय बारिश से बेहाल हैं। जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक कई राज्यों में जमकर बारिश हो रही है। भारी बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। कई स्थानों पर सड़कें और आवासीय इलाके घुटने तक पानी में डूब गए हैं। कई जगहों पर सैलाब में वाहन बहते नजर आ रहे हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में रिकॉर्ड बारिश के कारण नगर निकाय भी स्थिति सुधारने में असहाय नजर आ रहे हैं। कुछ दिनों की ही बारिश में देश भर में दर्जनों मौतें हो चुकी हैं। बेतहाशा बारिश के कारण लोगों की मृत्यु दुखद है। हालात की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों से स्थिति के बारे में जानकारी ली। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी बाढ़ की स्थिति और राष्ट्रीय राजमार्गों पर इसके प्रभाव को लेकर विशेष बैठक की है। प्रधानमंत्री को बताया गया है कि स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें काम कर रही हैं। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अगले कुछ दिनों में नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी की आशंका के मद्देनजर ‘अलर्ट मोड’ में रहने के आदेश दिए हैं। सीएम योगी ने हर गांव में रेन गेज लगाने को कहा है। अभी कुछ दिन पहले उत्तर भारत के कई इलाके लू की चपेट में थे।

सलाह दी जाती है कि लू से बचने के लिए लोग बाहर न निकलें अब यही सलाह बारिश में दी जा रही है, लेकिन रोजगार के लिए तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। मौसम देखकर घर से न निकलना समस्या का समाधान कदापि नहीं है। अभी जो बारिश हो रही है, फिलहाल इसके लिए केवल जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

स्मार्ट सिटी और शहरों के सौंदर्यीकरण की चाहत के चलते वर्षा के जल को सहेजने के अपने पारंपरिक ज्ञान को भुलाते हुए हमने तालाबों, कुओं के महत्व की उपेक्षा करनी शुरु कर दी। विकास के नाम पर बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण हमारे जंगलों, पहाड़ों, नदी-झीलों का नुकसान हो रहा है। कंक्रीट की आलीशान इमारतों, नकली पेड़-पौधों में हमारा सौंदर्यबोध सिमट कर रह गया।

बारिश में अभी जो मौतें हो रही हैं, वो करंट लगने, कच्चे निर्माणों के टूटने या एकदम से पानी भर आने जैसे कारणों से हो रही हैं। इसके लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेदार हैं। जो भारी खर्च करने के बाद भी ऐसा ढांचा विकसित नहीं कर सका जिसमें बारिश का पानी धरती के नीचे चला जाए। अगर बारिश की हर बूंद को सहेजा जाए, तो गर्मी में उसका उपयोग किया जा सकता है। फिलहाल प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के व्यापक प्रबंधों पर जोर दिया जाना चाहिए।