बरेली: घोटालेबाज बाबू ने शासन के अफसरों तक से कराए फोन...डेढ़ महीने अटकी रही जांच रिपोर्ट, जानिए मामला
सांसद-विधायक का भी था दबाव, अब दाखिल हुई रिपोर्ट, तत्कालीन डीडी कृषि, बाबू और टेक्निकल असिस्टेंट पाए गए दोषी
बरेली, अमृत विचार। कृषि विभाग की फार्म मशीनरी बैंक और कस्टम हायरिंग सेंटर योजनाओं में करोड़ों के गोलमाल की जांच रिपोर्ट आखिरकार सीडीओ के पास पहुंच गई है। जांच डेढ़ महीने पहले ही पूरी हो गई थी लेकिन इसमें फंसे एक बाबू के सांसद-विधायक के साथ शासन के अधिकारियों तक दबाव डलवाने की वजह से डेढ़ महीने से रिपोर्ट अटकी हुई थी। जांच अधिकारी डीसी मनरेगा को कानपुर ट्रांसफर होने के कारण यह रिपोर्ट दाखिल करनी पड़ी। इसमें तत्कालीन उपनिदेशक कृषि के साथ पटल के बाबू और टेक्निकल असिस्टेंट को घोटाले का दोषी बताया गया है।
यह गोलमाल 2020-21 और 2021-22 में हुआ था। दोनों योजनाओं का लाभ गिनेचुने लोगों को दे दिया गया था। इस मामले में बहेड़ी के सपा विधायक अताउर रहमान और पूर्व ब्लॉक आदेश यादव ने सीधे शासन में शिकायत की थी। इसके बाद डीएम ने अप्रैल में तत्कालीन डीसी मनरेगा गंगाराम वर्मा और एसडीएम बहेड़ी अजय उपाध्याय को संयुक्त रूप से जांच सौंपी थी। अधिकारियों ने जांच के लिए रिकॉर्ड मांगा तो बाबू शिव कुमार ने उन्हीं पर दबाव डलवाना शुरू कर दिया। अफसरों तक सांसद-विधायक ही नहीं, शासन के अधिकारियों तक के फोन पहुंचे। लिहाजा जांच पूरी होने के बावजूद रिपोर्ट नहीं दी गई। काफी समय एसडीएम बहेड़ी ने ही उस पर साइन नहीं किए।
कुछ दिन पहले डीसी मनरेगा का कानपुर ट्रांसफर हुआ तो मजबूरन जांच रिपोर्ट दाखिल करनी पड़ी। इस रिपोर्ट में तत्कालीन उपनिदेशक कृषि के साथ बाबू शिवकुमार और टेक्निकल असिस्टेंट नीपेंद्र को दोषी बताया गया है। घोटाले के दौरान तत्कालीन उप कृषि निदेशक अशोक कुमार के अलावा मौजूदा जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह चौधरी पर भी कुछ समय चार्ज रहा था। दो महीने पहले हाथरस के डीडी की जांच का भी यही नतीजा निकला था।
दोनों योजनाओं में था मोटा सरकारी अनुदान
फार्म मशीनरी बैंक के लिए 15 लाख तक के कृषि उपकरण 80 फीसदी सब्सिडी पर किसान समिति और कृषक उत्पादक संगठनों को दिए जाते हैं। किसान जरूरत होने पर यहां से मामूली किराया देकर उपकरण ले सकते हैं। कस्टम हायरिंग सेंटर योजना के तहत किसानों को 40 फीसदी सब्सिडी पर सीधे 12 लाख तक के उपकरण खरीदने की सुविधा दी जाती है। लाखों की सब्सिडी की वजह से ही दोनों योजनाएं रसूखदारों की निगाह में चढ़ गईं और सिस्टम की साठगांठ से सारा लाभ हड़प लिया गया।
करोड़ों की योजनाएं चंद परिवारों पर लुटा दीं
लाभार्थियों के चयन में शिव कुमार और नीपेंद्र ने पात्रता की धज्जियां उड़ा डालीं। 2020-21 में कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए बलविंदर सिंह के साथ उनके सगे भाई कुलविंदर का चयन किया तो संजीव के साथ उनकी पत्नी सीमा को भी सेंटर दे दिया गया। भोजीपुरा के रामकुमार का कस्टम हायरिंग के लिए लगातार दूसरे साल चयन किया गया।
इन्होंने दोनों बार ट्रैक्टर के साथ दूसरे यंत्र भी झटके। भदपुरा के लालता प्रसाद कृषि यंत्र सोसाइटी का भी फार्म मशीनरी बैंक के लिए दो बार चयन हुआ। गाइडलाइन के तहत दोनों योजनाओं का लाभ जिले के हर ब्लॉक को देना था मगर इन्हें नवाबगंज, शेरगढ़, भोजीपुरा समेत सिर्फ चार ब्लॉकों में निपटा दिया गया। कृषि यंत्रों की खरीद में जमकर कमीशनखोरी कर विभागीय स्टाफ ने दोहरा फायदा उठाया।
जांच रिपोर्ट पिछले दिनों सीडीओ को दे दी गई है। जांच में तत्कालीन उप निदेशक कृषि के साथ पटल सहायक शिव कुमार और प्राविधिक सहायक नीपेंद्र के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं। जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह के पास कुछ समय उपनिदेशक का चार्ज रहा था। उन्होंने मांगा गया रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं कराया। इसका जिक्र जांच रिपोर्ट में किया गया है--- गंगाराम, जांच अधिकारी एवं तत्कालीन डीसी मनरेगा।
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