अपने तीसरे अभियान को तैयार Chandrayaan-3, जानें इसरो के चंद्रयान मिशन का घटनाक्रम
श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चार साल बाद एक बार फिर से शुक्रवार को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद पर चंद्रयान पहुंचाने के अपने तीसरे अभियान के लिए तैयार है और पूरे देश की नजरें उस पर टिकी हैं।
'5..4..3..2..1..0.....𝘓𝘢𝘶𝘯𝘤𝘩'
— UP POLICE (@Uppolice) July 14, 2023
Precise timing & correct trajectory leaves no 'space' for mishaps . Wishing @isro stellar success at the launch of #Chandrayaan3#OrbitOfSafety#ISROTeam pic.twitter.com/1DecJbTECJ
इसरो का चांद पर यान को ‘‘सॉफ्ट लैंडिंग’’ कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ऐसा कर पाने में सक्षम हुए हैं।
#Chandrayaan3 | Countdown progressing at SDSC-SHAR, Sriharikota. Propellant filling in the L110 stage is completed. Propellant filling in the C25 stage is commencing, ISRO says pic.twitter.com/NH9S2XCNPc
— ANI (@ANI) July 14, 2023
देश के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 को 'फैट बॉय' एलवीएम-एम4 रॉकेट ले जाएगा। आज दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से इसे प्रक्षेपित किया जाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो यह अगस्त के आखिर में चंद्रमा पर उतरेगा। चंद्रयान-2, 2019 में चांद की सतह पर सुरक्षित तरीके से उतरने में विफल रहा था जिससे इसरो का दल काफी निराश हो गया था।
पूरा होगा ख्वाब,
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 14, 2023
हम होंगे कामयाब।
वैज्ञानिकों की 3 वर्ष की तपस्या, साधना और मेहनत के बाद स्पेसशिप #Chandrayaan3 चांद को जीतने के लिए तैयार है।
पूरा देश इस बहुप्रतीक्षित ऐतिहासिक प्रक्षेपण के सफल होने की कामना करता है। @ISRO के प्रबुद्ध वैज्ञानिकों व मिशन की सम्पूर्ण टीम को… pic.twitter.com/fBI84iqSo3
तब भावुक हुए तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवान को गले लगा कर ढांढस बंधाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीरें आज भी लोगों को याद हैं। वैज्ञानिक यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में घंटों कड़ी मेहनत करने के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग तकनीक में महारथ हासिल करने का लाक्ष्य साधे हुए हैं।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के दूरदर्शी नेतृत्व में अंतरिक्ष क्षेत्र में महाशक्ति बनने की ओर सतत अग्रसर 'नए भारत' के सामर्थ्य और हौसले की नई उड़ान 'चंद्रयान-3' को आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 14, 2023
'आत्मनिर्भर भारत' की आकांक्षाओं… pic.twitter.com/EHDdLoydwR
अगर भारत ऐसा कर पाने में सफल हो जाता है वह अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद इस सूची में चौथा देश बन जाएगा। अंतरिक्ष संस्थान ने कहा कि चंद्रयान-3, तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है, जो एलवीएम3 प्रक्षेपक के चौथे परिचालन मिशन (एम4) में रवानगी के लिए पूरी तरह से तैयार है।
इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल से चांद की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग कर उसकी जमीन पर चहलकदमी का प्रदर्शन कर नई ऊंचाइयों को छूने जा रहा है। संस्थाान के अनुसार, यह मिशन भावी अन्तरग्रहीय मिशनों के लिए भी सहायक साबित हो सकता है।
चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल हैं, जिसका उद्देशय अन्तरग्रहीय मिशनों के लिए जरूरी नई प्रौद्योगिकियों का विकास एवं उनका प्रदर्शन करना है। मिशन के तहत 43.5 मीटर लंबा रॉकेट दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाना है।
आंध्र प्रदेश: इसरो आज श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 लॉन्च करेगा।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 14, 2023
लॉन्च देखने आए प्रिंस संस्था के एक सदस्य ने बताया, "हम चंद्रयान 3 के लॉन्च इवेंट में आए हैं। मेरे कॉलेज से 300 छात्र यहां आए हैं। हम ईश्वर से कार्यक्रम के सफल होने की प्रार्थना करते हैं। यह क्षण सभी भारतीयों को… pic.twitter.com/51mYcOwQee
सबसे लंबे और भारी एलवीएम3 रॉकेट (पूर्व में जीएसएलवी एमके3 कहलाने वाले) की भारी भरकम सामान ले जाने की क्षमता की वजह से इसरो के वैज्ञानिक उसे प्यार से 'फैट बॉय' भी कहते हैं। इस ‘फैट बॉय’ ने लगातार छह सफल अभियानों को पूरा किया है। एलवीएम3 रॉकेट तीन मॉड्यूल का समन्वय है, जिसमें प्रणोदन, लैंडर और रोवर शामिल हैं। रोवर लैंडर के भीतर रखा है। शुक्रवार का यह मिशन एलवीएम3 की चौथी परिचालन उड़ान है, जिसका मकसद ‘चंद्रयान-3’ को भू-समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करना है।
इसरो ने कहा कि एलवीएम3 वाहन ने अपनी दक्षता को साबित किया है और कई जटिल अभियानों को पूरा किया है, जिसमें बहु-उपग्रहों का प्रक्षेपण, अन्तरग्रहीय मिशनों सहित दूसरे अभियान शामिल हैं। इसके अलावा यह सबसे लंबा और भारी प्रक्षेपक वाहन है, जो भारतीय और अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता उपग्रहों को लाने-ले जाने का काम करता है। जुलाई महीने में प्रक्षेपण करने का कारण ठीक चंद्रयान-2 मिशन (22 जुलाई, 2019) जैसा ही है क्योंकि साल के इस समय में पृथ्वी और उसका उपग्रह चंद्रमा एक-दूसरे के बेहद करीब होते हैं। शुक्रवार का मिशन भी चंद्रयान-2 की तर्ज पर होगा, जहां वैज्ञानिक कई क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे।
इनमें चंद्रमा की कक्षा पर पहुंचना, लैंडर का उपयोग कर चंद्रमा की सतह पर यान को सुरक्षित उतारना और लैंडर में से रोवर का बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह के बारे में अध्ययन करना शामिल है। चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर सुरक्षित रूप से सतह पर नहीं उतर सका था और दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसकी वजह से इसरो का प्रयास असफल हो गया था।
वैज्ञानिकों ने अगस्त महीने में लैंडर को सफलतापूर्वक उतारने के प्रयास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। श्रीहरिकोटा में मंगलवार को प्रक्षेपण रिहर्सल संपन्न हुआ, जिसमें प्रक्षेपण की तैयारी और प्रक्रिया आदि शामिल थी और यह पूर्वाभ्यास 24 घंटे से अधिक समय तक चला। इसके अगले दिन, वैज्ञानिकों ने मिशन तैयारी से संबंधित समीक्षा पूरी की।
