सहकार से समृद्धि
सहकारी क्षेत्र देश के मूल के करीब रहा है। देश में किसानी और सहकारिता आंदोलन रोजगार देने का एक प्रमुख जरिया है। इसीलिए सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करने, पारदर्शिता लाने, आधुनिकीकरण, कंप्यूटरीकरण करने, प्रतिस्पर्धी सहकारी समितियां बनाने और देश भर में जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को गहरा करने के लिए, सरकार ‘सहकार से समृद्धि’ के तहत कार्रवाई में जुट गई है।
संसद ने मंगलवार को ‘बहु राज्य सहकारी समितियां संशोधन विधेयक, 2022’ को मंजूरी दे दी। विधेयक के जरिए सरकार ने सहकारिता के क्षेत्र में जान फूंकने की कोशिश की है। इस मौके पर सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि बहुराज्यीय सहकारी संघ केंद्र सरकार का विषय है। इसमें जवाबदेही, पारदर्शिता और मुनाफा बढ़े, इसलिए यह विधेयक लाया गया है।
पहले यह कहा जाता था कि सहकारिता में राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। अब हम एक प्रावधान लेकर आए हैं जिसमें निर्वाचन अधिकरण बनाने का प्रावधान है। इससे सरकारी दखल कम हो जाएगा। वास्तव में सहकारी समितियों का चुनाव संबंधी प्रावधान एक अच्छी पहल है। जानकारों के मुताबिक छोटे गांवों से लेकर कस्बों तक विभिन्न मंडलियों के संचालन के लिए कोई नियमन की व्यवस्था नहीं थी। कुछ राज्यों में सहकारी समितियों में अनियमितताओं, वित्तीय गबन, विवाद, पक्षपातपूर्ण आचरण जैसे कदाचार को रोकने के लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है। सहकारिता के इतिहास में यह बड़ा कदम है जो बड़े बदलाव लेकर आएगा। इसका मकसद सहकारी मंडलियों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना है।
गौरतलब है कि वर्तमान सहकारिता नीति 2002 में तैयार की गई थी और बदलते आर्थिक परिदृश्य के मद्देनज़र एक नई नीति की आवश्यकता महसूस की गई। सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि दीपावली तक हम नई सहकारी नीति लेकर आएंगे। यह नई सहकारी नीति आने वाले 25 वर्षों के सहकारिता का मानचित्र देश और दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करेगी। वर्ष 2003 के बाद से देश में कोई सहकारी नीति नहीं आई। इसका 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है।
जरूरत को समझते हुए सरकार ने सहकारी समितियों को कॉरपोरेट के साथ समान अवसर प्रदान करने के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) की दर भी 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी है। देश भर में सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों को आधुनिक और पेशेवर बनाने की एक योजना भी बनाई जा रही है। कहा जा सकता है सहकारिता आंदोलन को आवाज देने के लिए विधेयक के जरिए सरकार ने एक बड़ा खाका प्रस्तुत किया है जिसमें छोटे किसानों, रेहड़ी पटरी वालों और छोटे व्यवसायियो की भी चिंता की गई है। प्रस्तावित नई नीति के माध्यम से जमीनी स्तर पर सहकारिता आंदोलन को मजबूती मिलेगी।
