न रहने को घर , न खाने को निवाला , चार दिन से छोटे बच्चों के साथ प्लेटफार्म पर भूखी पड़ी थी सुनीता 

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Published By Jagat Mishra
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रायबरेली, अमृत विचार । चार साल पहले पति से ठुकराई सुनीता चार दिन से अपने चार छोटे बच्चों के साथ प्लेटफार्म पर भूखी प्यासी पड़ी थी । गुरुवार को स्थानीय लोगों की संवेदना जागृत हुई तो उसे पहले कोतवाली फिर एसडीएम के पास पहुंचाया । एसडीएम ने बीडीओ को उसके रहने खाने का प्रबंध करने का निर्देश दिया है । अब इस लाचार महिला की मदद के लिए कई समाजसेवी भी सामने आए हैं।
    
रोहनिया विकास खंड के गांव छिपिया निवासिनी सुनीता की शादी अयोध्या में हुई थी । करीब चार साल पहले उसके पति ने उसे छोड़ दिया । उसके बाद वह अपने चार छोटे बच्चों आदर्श (12 वर्ष ) ,अर्पिता ( 10 वर्ष ) , अंकिता ( 8 वर्ष ) और आकाश ( 6 वर्ष ) को लेकर मायके चली आई । मायके में पिता राम उजेर शुक्ल की पहले ही मौत हो चुकी थी । घर में एक बूढ़ी मां और छोटा भाई है । घर की माली हालत ठीक नहीं है । किसी तरह इधर उधर मजदूरी करके पूरे परिवार की जीविका चल रही थी ।  इधर छोटा भाई बीमार रहने लगा।  

उसके इलाज की समस्या सामने आई । किसी तरह भाई का इलाज चल रहा था कि बरसात में उसकी झोपड़ी ढह गई । अब उसके पास सिर ढकने की जगह नहीं थी , घर में पेट भरने के लिए एक निवाला नहीं था , ऐसे में सुनीता और उसके बच्चे बूढ़ी मां पर बड़ा बोझ हो चुके थे । एक तरफ छोटे बेटे की बीमारी तो दूसरी तरह पति से ठुकराई बेटी और उसके बच्चों की परवरिश बूढ़ी मां के बस की बात नहीं थी ।  सुनीता ने मां की पीड़ा महसूस की तो चार दिन पहले अपने चारो बच्चों को लेकर घर से निकल गई । 

ऊंचाहार रेलवे स्टेशन पहुंचकर प्लेटफार्म को उसने अपना आशियाना बना लिया , किंतु भूख मिटाने के लिए कोई आसरा नहीं था। चार दिन से वह प्लेटफार्म पर बच्चों को लेकर पड़ी थी। गुरुवार को स्थानीय लोग उसके पास पहुंचे और जब उससे उसकी दास्तां सुनी तो उसे कोतवाली पहुंचाया गया। जहां से जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव जितेंद्र द्विवेदी और छिपियां गांव निवासी के के तिवारी ने उसे एसडीएम के पास पहुंचाया । 

एसडीएम सिद्धार्थ चौधरी ने महिला की व्यथा सुनने के बाद बीडीओ को महिला के रहने और भोजन का प्रबंध करने का निर्देश दिया है । दूसरी ओर जितेंद्र द्विवेदी ने भी महिला की मदद की कोशिश शुरू की है । फिलहाल महिला को उसके मायके में रहने के लिए भेजा गया है और ग्राम प्रधान को उसके रहने और भोजन की जिम्मेदारी बीडीओ ने दी है ।

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