कांग्रेस का दारुण दौर

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कांग्रेस में घमासान मचा है। श्रीमती सोनिया गांधी को छह माह के लिए और अंतरिम अध्यक्ष बना कर इसे ठंडा करने की कोशिश की गई थी। पर देखा जाए यह तो ठंडा हुआ नहीं। आग ज्यों की त्यों सुलग रही है। गत दिनों कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं ने सोनिया को पार्टी की दिशा-दशा सुधारने …

कांग्रेस में घमासान मचा है। श्रीमती सोनिया गांधी को छह माह के लिए और अंतरिम अध्यक्ष बना कर इसे ठंडा करने की कोशिश की गई थी। पर देखा जाए यह तो ठंडा हुआ नहीं। आग ज्यों की त्यों सुलग रही है। गत दिनों कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं ने सोनिया को पार्टी की दिशा-दशा सुधारने के लिए पत्र लिखा था। अब कांग्रेस एक और ‘लेटर बम’ के साथ पार्टी में होने वाले धमाके के लिए तैयार है, इस बार यह उत्तर प्रदेश से है।

यह पत्र ऐसे समय में आया है जब पार्टी उत्तर प्रदेश में पहले से ही गुटबाजी, मतभेदों का सामना कर रही है। पिछले साल पार्टी से निष्कासित नौ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वह पार्टी को महज ‘इतिहास’ का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें। पत्र में लिखा गया है, ‘परिवार के मोह से ऊपर उठें’ और पार्टी की लोकतांत्रिक परंपराओं को फिर से स्थापित करें।

सच है कि नेताओं और पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच संवाद की कमी है। प्रदेश में कांग्रेस के सहयोगी संगठन निष्क्रिय से हो गए हैं। याद होगा कि प्रदेश के चुनाव में मायावती और अखिलेश ने संयुक्त मोर्चा बनाया और कांग्रेस को शामिल करने की जरूरत तक नहीं समझी। दिल्ली में केजरीवाल ने कोशिश की लेकिन कांग्रेस की नासमझी देख अकेले ही चुनाव लड़े और विजयी रहे। कांग्रेस दोनों राज्यों में देखती रह गई। महाराष्ट्र में शरद पवार ने न समझाया होता तो वहां भी सत्ता का स्वाद न चख पाती। बिहार में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं लेकिन कांग्रेस अपनी ही उलझनों में उलझी है। वहां भी कांग्रेस के हाथ को किसी का साथ नहीं मिल रहा।

दरअसल, जब से प्रियंका वाड्रा ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी के रूप में कमान संभाली है,तब से सोनिया-राहुल के वफादार नेताओं को किनारे किए जाने का खेल चल रहा है। सोनिया गांधी की कोशिश फिर से राहुल को कमान सौंपने की है। तालमेल कैसे बने? राहुल का करिश्मा न केवल देश बल्कि पार्टी के अंदर ही नहीं रहा। प्रियंका गांधी को सोनिया पुत्र मोह में फंस आगे नहीं बढ़ने दे रही। कांग्रेस देश में किसी मुद्दे को उठा नहीं रही। विपक्ष की भूमिका कौन निभाएगा ? पार्टी में अपने ही अपनों को पछाड़ने में लगे हैं। जबकि समय है कि युवाओं के साथ-साथ दिग्गज अनुभवी नेताओं को साथ लेकर चला जाए और उनके अनुभव का लाभ लिया जाए।