देवीधुरा: आस्था की "बग्वाल" में उमड़े भक्त, फल और फूलों से हुआ युद्ध... देखें वीडियो
देवीधुरा, अमृत विचार। उत्तराखंड में चंपावत के प्रसिद्ध देवीधुरा के 'माँ बाराही मंदिर' में रक्षाबंधन के दिन होने वाले प्रसिद्ध बग्वाल मेले के मौके पर फल और 'पत्थर मार' युद्ध हुआ।
चम्पावत जिले के देवीधुरा में आज दोपहर उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध देवीधूरा बग्वाल मेला खिली धूप में खेल गया। इस बार भी फल और फूलों के साथ पत्थर मार युद्ध आठ मिनट तक चला, जिसमें दर्जनों बग्वाली वीर और दर्शक लहूलुहान हो गए। सभी घायलों को प्राथमिक उपचार दिया गया। इस रोमांचक, अदभुत और अकल्पनीय नजारे को हजारों से ज्यादा दर्शक टकटकी लगाकर देखते रहे।
सुबह बाराही धाम में विशेष पूजा अर्चना के बाद दिन में लगभग एक बजे से सात तोकों और चार खामों के बग्वाली वीरों के जत्थे आने शुरू हो गए। खाम के लोगों ने अलग अलग रंग की पगडियों के साथ मां बाराही के जयघोष के बीच मंदिर और बग्वाल मैदान खोलीखांड द्रुबाचैड की परिक्रमा की। बांस के फर्रों और डंडों के बीच बग्वाली वीर उछल-उछल कर मैदान में रोमांच के साथ जोश और जज्बा पैदा कर रहे थे।
सबसे पहले चमियाल खाम और अंत में गहडवाल खाम का जत्था मैदान में पहुंचा । वालिक खाम के योद्धा तिरंगे के साथ मैदान में पुहचे। मंदिर छोर पर लमगडिया और बालिक तथा बाजार छोर में गहडवाल व चमियाल खाम के बग्वाली वीर आमने सामने आ गए। जैसे ही पुजारी ने शंख और घंट ध्वनी की उतावले बग्वाली वीरों ने फल फूलों के साथ ही पत्थर चल गए। जैसे ही पुजारी को आभास हुआ कि एक मानव के बराबर रक्तपात हो गया है, तो वह चवर ढुलाते और मां बाराही के छत्र के साथ मैदान में पहुंचे और शंखध्वनि के साथ बग्वाल बंद करने का ऐलान किया। इसके बाद भी एक दो मिनट पत्थर उछलते रहे। लगभग 10 मिनट तक चली बग्वाल में दर्जनों रणबाकुरों के साथ दर्शक भी लहूलुहान हो गए। जिनका प्राथमिक उपचार किया गया। कुछ घायलों का बिच्छू घास लगाकर भी परंपरागत उपचार हुआ।
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