
मुरादाबाद : दायित्व संग जरूरतमंदों की मदद करना ओम शुक्ल का स्वभाव, काशीपुर तिराहा चौकी क्षेत्र में हैं काफी लोकप्रिय
सबको सुरक्षित, मौका देख जरूरतमंद का सहयोग करना इनका है संकल्प
निर्मल पांडेय, अमृत विचार। सुरक्षा के प्रति गंभीर और पुलिस से जुड़े सभी दायित्वों के निर्वहन में निष्ठा-ईमानदारी बरतना इनकी आदत में है। जरूरतमंद की निजी तौर पर भी मदद करना इनका स्वभाव है। हम बात कर रहे हैं कटघर थाना क्षेत्र के पुलिस चौकी काशीपुर तिराहा के इंचार्ज ओम शुक्ल की।
मुरादाबाद में ओम शुक्ल साल भर से तैनात हैं। वह चौकी क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। शासकीय सेवा से इतर ऐसे कई कार्य करते रहते हैं। जिससे वह आए दिन सुर्खियों में रहते हैं। उच्चाधिकारियों से भी कई बार शाबाशी मिली है। रविवार सुबह 9:30 बजे की बात है। तेज बारिश में भीगते हुए गोट गांव की विधवा मीना मदद मांगने पुलिस चौकी पहुंची थी। दरोगा ओम शुक्ल को देखते ही मीना रोने लगी। बताया, उसकी बड़ी बेटी मेघा मेरठ के थाना मुंडाली के मऊखास गांव में ब्याही है। बेटी का फोन आया है कि उसके पति ने मारपीट कर उसे घर से निकाल दिया है।
परेशान मीना को दरोगा ने मदद का भरोसा देकर पहले उसे पानी पिलाया और फिर मुंडाली थानाध्यक्ष को फोन कर मीना की बेटी मेघा को न्याय दिलाने का अनुरोध किया। ये देख मीना शांत हुई और फिर वह बारिश में ही घर के लिए निकल पड़ी तो दरोगा ने छाता लेकर चौराहा तक पैदल जाकर उसे ऑटो में बैठाया। आर्थिक मदद करनी चाही तो मीना ने मना कर दिया।
काशीपुर मार्ग पर तेज हवा-बारिश से पेड़ की डाल सड़क पर गिर गई थी। मार्ग अवरुद्ध था। कई वाहनों के बीच एंबुलेंस भी फंसी थी। एंबुलेंस में रोगी देखकर दरोगा ओम शुक्ल ने क्रेन या जेसीबी का इंतजार नहीं किया और साथी पुलिसकर्मियों के सहयोग से उस डाल को हाथ से ही खींचकर यातायात बहाल कराया। बाबरपुर किटी गांव की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला आई और जमीन पर बैठकर रोने लगी। दरोगा ओम शुक्ल ने उसे देख जमीन पर ही बैठकर उसके रोने का कारण पूछने लगे। फिर उस महिला को उसके गांव में ले गए और उसके दोनों बेटों को समझाया। इस महिला के पति को गुजरे 25 साल हो गए थे। बहू-बेटों ने उसे घर से निकाल दिया था। दरोगा ने महिला को आटा-चावल और आलू मंगाकर दिया और उसके बेटों को दोबारा मां को परेशान न करने की हिदायत भी दी।
पुलिस में आने से पहले शिक्षक थे
पुलिस सेवा में आने से पहले ओम शुक्ल शाहजहांपुर में ही कृष्णानंद स्मारक इंटर कॉलेज बंडा में छात्रों को हिंदी पढ़ाते थे। वर्ष 1991 का दौर था। वह शहर में बच्चों के लिए किताबें लेने गए थे। मित्र ने उनके डील-डौल को देखकर कांस्टेबल पद के लिए आवेदन करने को उत्साहित किया। उसी दिन ओम ने आवेदन भी कर दिया और उनका चयन हो गया। वर्ष 1992 में उनकी पहली तैनाती बहराइच में हुई थी। वर्ष 2000 में वह हेड कांस्टेबल बने और फिर 2014 में उन्होंने उप निरीक्षक (दरोगा) पद की परीक्षा पास की। दरोगा बनने के बाद पहली तैनाती उन्हें लखनऊ के चारबाग पुलिस चौकी पर मिली थी। पुलिस की अब तक की सेवा में ओम शुक्ला का इतिहास है कि वह रामपुर जिले में ज्वालानगर पुलिस चौकी पर 35 महीने रहे।
जहां विद्यालय दिखा, रुक गए दरोगा जी
ओम शुक्ल का जज्बा ही कहेंगे। वह चाहे कहीं भी जा रहे हों लेकिन, उन्हें रास्ते में विद्यालय दिख गया तो उनकी गाड़ी धीमी हो जाती है। स्कूल में जाकर घंटा-आधा घंटा पढ़ाते जरूर हैं। महीने भर पहले बिलारी थाने के खाबरी अव्वल गांव में एक जांच में गए थे। यहां प्राथमिक विद्यालय में क्लास खाली देख उन्होंने बच्चों को करीब एक-डेढ़ घंटे तक हिंदी पढ़ाई। बिजनौर में चांदपुर थाना क्षेत्र में तैनाती के दौरान भी उन्होंने बबनपुरा, चांदपुर, केलनपुर, बागड़पुर के विद्यालय में पढ़ाने जाते थे।
ये भी पढ़ें : मुरादाबाद: लुटेरे पकड़ से दूर, मोबाइल व ई-रिक्शा भी नहीं खोज पाई पुलिस, 80 सीसीटीवी कैमरों को खंगाल चुकी, नतीजा सिफर
Comment List