मुरादाबाद : माता-पिता बेटियों पर करें भरोसा, सपने करेंगी साकार
नमो देव्यै : खंड विकास अधिकारी श्रद्धा गुप्ता का मानना, कठिन समय को सरल बना देती है शिक्षा
मुरादाबाद, अमृत विचार। अपनी मेहनत के दम पर खंड विकास अधिकारी पद पाने वाली श्रद्धा गुप्ता चाहती हैं कि माता-पिता बेटियों पर भी बेटे जितना भरोसा करें। वह उनके सपनों को साकार कर दिखाएंगी। मुरादाबाद सदर ब्लॉक की खंड विकास अधिकारी श्रद्धा गुप्ता ने अपनी मंजिल खुद के जुनून और मेहनत के बल पर हासिल की है।
मंजिल तक का सफर तय करने में परेशानी तो आईं, लेकिन उनके रास्ते की रुकावट नहीं बनीं। उनके हौसले को कोई भी परेशानी डिगा नहीं पाई। हर कदम पर अपनों का साथ और खुद पर भरोसा रख श्रद्धा आज सदर ब्लॉक की 56 ग्राम पंचायतों का विकास कराने को संकल्पित हैं। उनके पति शिक्षा के क्षेत्र में जिले में ही सेवा दे रहे हैं। प्रयागराज निवासी पिता भोलाराम गुप्ता और मां प्रवेश गुप्ता के घर 17 सितंबर 1996 को जन्मी श्रद्धा गुप्ता आर्थिक रूप से कमजोर से परिवार से थी। इनके पिता प्रयागराज में प्राइवेट नौकरी करते थे। मां प्रवेश गुप्ता एक निजी स्कूल में अध्यापक थी। छोटा भाई आयुष गुप्ता साइबर कैफे पर नौकरी करता था। तीनों मिलकर परिवार का गुजारा चलाते थे।
गोरखपुर से स्नातक, इलाहाबाद से की एमएससी
श्रद्धा की प्राथमिक से लेकर स्नातक की पढ़ाई गोरखपुर में हुई। उन्होंने एमएससी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की। घर में आर्थिक तंगी से श्रद्धा का मन पढ़ाई से विमुख होने लगा, लेकिन छोटे भाई आयुष ने खुद नौकरी कर बड़ी दीदी की पढ़ाई की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले ली। आयुष ने साइबर कैफे पर नौकरी कर बहन को पीसीएस की तैयारी के लिए पैसे की व्यवस्था की। 2017 में श्रद्धा ने 21 वर्ष की उम्र में पहली बार में ही पीसीएस परीक्षा पास कर ली। इससे परिवार में खुशियां छा गईं। श्रद्धा को मुरादाबाद के मूंढापांडे ब्लॉक में खंड विकास अधिकारी के पद पर पहली ज्वाइनिंग मिली। खंड विकास अधिकारी पदभार ग्रहण करने के ठीक एक साल बाद 2022 में सीतापुर सिंगोली तहसील के रहने वाले शिवम गुप्ता से शादी के बंधन में बंध गईं। इस समय पति शिवम भी जिले में खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उधर, श्रद्धा गुप्ता के भाई एक आर्मी स्कूल में अध्यापक हैं और अपने माता-पिता की सेवा कर रहे हैं।
बेटियों पर करें भरोसा, खरा उतरेंगी
उनका मानना है कि माता-पिता को अपनी बेटी पर बेटे जितना भरोसा करना चाहिए। उसे बेटे के समान पढ़ाई कराएं। कमजोर न समझें। घर से बाहर भेजने पर संकोच करना बेटी के मनोबल को अंदर से कमजोर बनाता है। वह कहती हैं कि बेटियों को भी अपने माता-पिता के भरोसे और खानदान की इज्जत का विशेष ख्याल रखना चाहिए। वह कहती हैं जो लड़कियां भविष्य बनाने के समय लक्ष्य से भटक जाती हैं उन्हें जिंदगी में कठिनाई उठानी पड़ती है। इसलिए पहले खुद को साबित कर भविष्य बुलंद करें।
शिक्षा है नारी का सुरक्षा कवच
नारी सशक्तिकरण के लिए सरकार अभियान चला रही है। इसमें शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा सरकार दे रही है इसे सार्थक करने की जिम्मेदारी बेटियों और उनके अभिभावकों की है। श्रद्धा कहती हैं कि गरीब और कमजोर परिवार की बच्चियों के भविष्य में आने वाली परेशानियों से निपटने के लिए शिक्षा रूपी रक्षा कवच जरूरी है।
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