राजस्व वादों के निस्तारण में 28 वें पर बरेली...फिर भी बेपरवाही

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Published By Vishal Singh
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अफसरों से मदद की धुंधली हो रही आस, जनप्रतिनिधियों की शरण में पहुंच रहे फरियादी

बरेली, अमृत विचार। जमीन से जुड़े मामलों में अफसरों के न सुनने पर पीड़ितों को मदद के लिए मंत्री और सांसद की शरण में जाना पड़ रहा है। जबकि सैकड़ों मामलों में फरियादी प्रार्थना पत्र लेकर चौकी, थाने से लेकर तहसीलों के चक्कर काट रहे हैं।

संपूर्ण समाधान दिवस और थाना समाधान दिवस समेत अफसरों के जनता दर्शन में आने वाली शिकायतों में ऐसे मामलों की भरमार है। यह हाल तब है, जब देवरिया में जमीन विवाद में छह लोगों की हत्या के बाद राजस्व वादों के निस्तारण पर खासा जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी जिले में अफसर बेपरवाह हैं। यही वजह है कि बरेली राजस्व वादों के निस्तारण में प्रदेश में 28 वें नंबर पर है, साफ है कि जिम्मेदार अधिकारी अपने स्तर से पीड़ितों को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं, जिसकी वजह से पीड़ित इधर-उधर भटक रहे हैं। शुक्रवार को समीक्षा के दौरान लंबित मामलों को देखकर राजस्व राज्यमंत्री अनूप प्रधान ने भी नाराजगी जताई थी।

केस-1
सदर तहसील की निवासी ओमवती पत्नी हरपाल सिंह ने बीते दिनों पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह से मिलकर अपनी समस्या बताई। कहा कि उनकी जमीन पर गांव के लोगों ने कब्जा कर लिया है। अधिकारियों से कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। महिला की समस्या को लेकर मंत्री ने 14 अक्टूबर को एसडीएम सदर को पत्र लिखकर कहा है कि मामले में पैमाइश कराकर पुलिस की मदद से जमीन को कब्जा मुक्त कराएं।

केस-2
सदर तहसील के घंघोरा पिपरिया गांव के राजीव कुमार ने आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप से मिलकर कहा कि उनकी जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। कई बार अधिकारियों के पास जाकर मदद मांगी, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। इसको लेकर सांसद ने एसडीएम सदर को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा है कि, इस मामले को संज्ञान में लेकर गंभीरता से कार्रवाई करें। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राजस्व टीम का गठन कर सीमांकन करा दें।

वादों के निस्तारण की स्थिति अच्छी है। जिला मध्यम में है। रोजाना वाद दर्ज हो रहे हैं। निस्तारण भी हो रहा है। प्रयास यही हैं कि जल्द से जल्द वादों का निस्तारण कराकर लंबित मामलाें को खत्म किया जा सके। जनप्रतिनिधियों के पास पीड़ितों के जाने की जानकारी नहीं है। हम तो रोज दफ्तर में बैठते हैं-दिनेश, एडीएम प्रशासन।

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