बरेली: नवजात शिशुओं की जिंदगी से खेल, बरेली से बदायूं और बदायूं से सैफई

बरेली: नवजात शिशुओं की जिंदगी से खेल, बरेली से बदायूं और बदायूं से सैफई

बरेली/बदायूं, अमृत विचार। महिला अस्पताल के एसएनसीयू में हुए हादसे से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और अफसरों की लापरवाही की पोल भी खुलकर सामने आ गई। बरेली से सात नवजात शिशुओं को बदायूं के राजकीय मेडिकल कॉलेज रेफर तो कर दिया गया लेकिन वहां उन्हें भर्ती करने का ही इंतजाम नहीं था।

एक शिशु की मौत के बाद छह शिशुओं को इमरजेंसी से ही सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। इस बीच दो और शिशुओं की हालत गंभीर हुई तो उनके परिजन उन्हें निजी अस्पताल ले गए। चार को सैफई भेज दिया गया।

जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू में आग लगने के बाद उसमें भर्ती सात बच्चों को बदायूं के राजकीय मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था। एंबुलेंस से ये बच्चे दोपहर दो बजे ये बच्चे बदायूं पहुंचे तो मेडिकल कॉलेज में बहेड़ी की शबाना के बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया। बाकी बच्चों को भी भर्ती करने का इंतजाम मेडिकल कॉलेज में नहीं था।

उन्हें फौरन सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। दो को उनके परिजन निजी अस्पताल ले गए। सवाल उठता रहा कि जब बदायूं के राजकीय मेडिकल कॉलेज में जरूरी इंतजाम ही नहीं हैं तो उसे बरेली का रेफरल सेंटर क्यों बनाया गया है।

ये बच्चे भेजे गए थे बदायूं
पूजा का एक दिन का बच्चा, छह दिन के बिलाल खान, 20 दिन के आहिल, राधा का तीन दिन का बच्चा, त्रिवेनी का 20 दिन का बच्चा, नाजरीन का तीन दिन का बच्चा और शबाना का बच्चा जिसने दम तोड़ दिया।

इतने जिम्मेदार..! बच्चे आए और सैफई रेफर हो गए न प्राचार्य को कुछ पता न सीएमएस को

बरेली से भेजे गए नवजात शिशु दोपहर दो बजे ही बदायूं के मेडिकल कॉलेज पहुंच गए थे लेकिन उनके बारे में शाम तक न वहां के प्राचार्य को जानकारी थी न ही सीएमएस को। प्राचार्य डॉ. एनसी प्रजापति से बच्चों की हालत के बारे में पूछा गया तो उन्हें यह तक नहीं पता था कि बरेली में कोई हादसा हुआ है।

सीएमएस डॉ. सीपी सिंह ने भी जवाब दिया कि उन्हें इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। काफी देर बाद प्राचार्य ने बच्चों की हालत के बारे में जानकारी दी। इस घटनाक्रम से बरेली के अधिकारियों की भी बेपरवाही की पोल खुल गई जिन्होंने बच्चों को बदायूं तो भेज दिया लेकिन वहां के अधिकारियों से फोन पर बात करने तक की जरूरत महसूस नहीं की।

बरेली से सात बच्चे आए थे। यहां आईसीयू में बेड न होने की वजह से उन्हें वार्ड में भर्ती किया गया, बच्चों के परिजन उन्हें वार्ड में भर्ती करने को तैयार नहीं थे और यहां से रेफर कराकर ले गए। सात बच्चों में से एक को मृत अवस्था में लाया गया था। - डॉ. एनसी प्रजापति, प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज बदायूं

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