बरेली: ऐसे ली विदाई! जाते-जाते चेहरा तक नहीं दिखाया

जनाजे उठते ही रो पड़ा जाम सावंत शुमाली, आसपास के गांवों के भी हजारों लोग जनाजे में शामिल होने पहुंचे

बरेली: ऐसे ली विदाई! जाते-जाते चेहरा तक नहीं दिखाया

बरेली/बहेड़ी, अमृत विचार। भोजीपुरा में मारे गए आठों लोगों के शवों का रविवार को पोस्टमार्टम हुआ। इसके बाद जब सात युवकों के शव एक-एक कर एंबुलेंस से जाम सावंत शुमाली पहुंचे तो एक बार फिर पूरा गांव चीत्कारों से गूंज उठा। परिवारों के लोग आखिरी बार उनका चेहरा देखना चाहते थे लेकिन आग ने कुछ देखने लायक छोड़ा ही नहीं था, लिहाजा उन्हें मना कर दिया गया। सातों को बराबर-बराबर कब्र में दफनाया गया। मीतापुर में कार ड्राइवर फुरकान को भी ऐसे ही माहौल में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

जाम सावंत शुमाली के सात युवकों के शव गांव में पहुंचने के बाद हर आंख से आंसू की धार बह निकली और चीत्कारों की आवाज गूंजनी शुरू हो गई। कुछ देर तक शवों को घरों पर रखा गया, फिर उन्हें कब्रिस्तान ले जाया गया। एक के बाद एक सात घरों से जनाजे उठे तो पूरे गांव के लोग इकट्ठे हो गए। हर कोई कह रहा था कि अल्लाह ऐसा किसी के साथ न करे। जिन घरों ने अपने बेटों को खोया, लोग उन्हें सहारा देकर कब्रिस्तान तक ले गए। मीतापुर में फुरकान की मौत के बाद उनके पिता अमरुद्दीन, मां और भाइयों का रोरोकर बुरा हाल था।

हादसे में मो.आरिफ, मो.अयूब, बाबू, मो आलिम, मो.आसिफ, मो आसिफ पुत्र छोटे मुन्ने, मो.शादाब और चालक फुरकान के बुरी तरह जले शवों की पहचान मुश्किल हो जाने की वजह से पोस्टमार्टम के दौरान सभी शवों का सैंपल भी डीएनए टेस्ट के लिए लिया गया।

एक साथ सुपुर्द-ए-खाक हुए सातों, छोटा पड़ा कब्रिस्तान
जाम सावंत शुमाली में आसपास के गांवों से हजारों लोग गमजदा गांव को सांत्वना देने के लिए पहुंचे। कब्रिस्तान में भी एक साथ सात शवों के दफन करने लायक जगह नहीं थी। इसी कारण हजारों की संख्या में जुटे लोग भी कब्रिस्तान तक नहीं पहुंच सके। एक-एक शव को ले जाकर सुपुर्दे खाक किया गया। लोग कब्रिस्तान के बाहर तक खड़े रहे। इस दौरान एसएसआई चमन गिरि, एसआई प्रदीप चौधरी, राहुल सिंह और हर स्वरूप सिंह समेत पुलिस टीम भी यहां तैनात रही।

डंपर का ड्राइवर बोला- गेंद की तरह डिवाइडर पार सामने आ गिरी कार
रामपुर के गांव पड़वाई के रहने वाले डंपर के ड्राइवर विनोद कुमार ने बताया कि वह करीब 15 साल से ट्रक और डंपर चला रहे हैं लेकिन उन्होंने खुद इस तरह का हादसा कभी नहीं देखा। उन्होंने बताया कि कार अपनी लेन पर जा रही थी लेकिन अचानक गेंद की तरह उछलकर उनकी लेन में डंपर के सामने आ गिरी। उन्होंने डंपर रोकने के लिए पूरे जोर से ब्रेक लगाया लेकिन रफ्तार इतनी थी कि कुछ नतीजा नहीं निकला। कुछ ही सेकेंड में कार और ट्रक में दोनों में आग लग गई।

कार में बैठे लोगों को बचाने की कोशिश न करने पर दी सफाई
विनोद के मुताबिक हादसे के बाद वह डर गए और खिड़की खोलकर उतरने की कोशिश करते हुए उनके दाहिने पैर में चोट भी लग गई। हेल्पर भी कूदकर भाग निकला। उनका मोबाइल और 20 हजार रुपये भी डंपर में जलकर राख हो गए। विनोद ने बताया कि उन्होंने सोचा था कि जिस तरह वह कूद गए, उसी कार में बैठे लोग भी निकल आए होंगे। कार में कितने लोग थे और कितनों की मौत हुई, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। कार अचानक उनके डंपर के सामने आ गिरी, वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सके।

सभी मृतकों की हुई पहचान
कार हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई थी। जलने के कारण शवों को पहचानना मुश्किल हो रहा था। पोस्टमार्टम के बाद मृतकों के परिजनों ने शवों की पहचान कर ली। भोजीपुरा इंस्पेक्टर ने बताया कि सभी मृतकों को उनके परिजनों ने अंगूठी, बेल्ट, अंडर गारमेंट आदि से पहचान लिया है। पोस्टमार्टम हाउस पर ही लोग पहचानकर शव ले गए।

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