अयोध्या: गर्भगृह में तो सन् 49 में ही प्रकटे थे रामलला, 70 साल, दो माह 22 दिन गर्भगृह में रहे विराजमान, जानिए अद्भुत जानकारी!

Amrit Vichar Network
Published By Sachin Sharma
On

इंदु भूषण पांडेय, अयोध्या। तारीखें ही सब कुछ की गवाह हैं। तिथि थी पौष शुक्ल की तृतीया (22/23 दिसंबर सन् 1949 की रात) जब रामलला विवादित ढांचे के गर्भगृह में प्रकट हुए थे। तब से लेकर छह दिसंबर 1992 तक रामलला का विग्रह उसी गर्भगृह में विराजमान रहा। 

Untitled-32 copy

रामलला के विग्रह ने 27 साल, तीन माह 19 दिन टेंट में भी गुजारे हैं। सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद तीन साल, नौ माह, 22 दिन रामलला का विग्रह गर्भगृह से हटकर लकड़ी के बने अस्थायी मंदिर में विराजमान रहकर अब आगामी प्रस्तावित 22 जनवरी को पुन: मूल गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित होने जा रहा है। सन 1949 में प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे और अब हैं नरेंद्र मोदी। 

दरअसल 1949 में 22/23 दिसंबर की रात विवादित ढांचे के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति स्थापित कर दी गई थी और इस सबके मुख्य सूत्रधार थे बाबा अभिराम दास। उसी के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि सेवा समिति का गठन किया गया, जिसमें कलकत्ता निवासी राय बहादुर सेठ राम प्रसाद राजगढ़िया, बाबा अभिराम दास, ठाकुर गुरुदत्त सिंह, गोपाल सिंह विसारद सहित अयोध्या के कई प्रमुख संत-महंत शामिल रहे। 

यह समिति सन 1950 में पंजीकृत संस्था हो गई और तभी से पौष शुक्ल की तृतीया की तिथि पर श्रीराम प्रकाट्योत्सव का आयोजन हर वर्ष होता रहा है। मामला कोर्ट में जाने के बाद भी रामलला का विग्रह उसी गर्भगृह में विराजमान रहा। छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहा दिए जाने के बावजूद वह विग्रह उसी दिन वहां जमीन समतल करके स्थापित कर दिया गया और तब से लेकर 24/25 मार्च 2020 की रात तक रामलला का विग्रह टेंट में विराजमान रहा और दर्शन, अर्चन व पूजन पूर्ववत होता रहा।  
      
मालूम हो कि इसी 9 नवंबर 2019 को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और गर्भगृह में विराजमान रामलला के पक्ष में डिग्री हो गई। इसी फैसले के बाद गठित हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण की दिशा में काम करना शुरू किया तो वहीं बगल परिसर में लकड़ी का एक अस्थाई मंदिर बनाकर गर्भगृह से रामलला के विग्रह को उठाकर 24/25 मार्च 2020 की रात अस्थाई मंदिर में स्थापित कर दिया गया। 

इसी विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा अब 22 जनवरी 2024 को प्रस्तावित है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उपस्थित रहना लगभग तय है। एक तरह से तीन साल, नौ माह 22 दिन बाद रामलला का विग्रह पुनः मूल गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित हो जाएगा। अब इस तरह से तारीखों के आईने में देखा जाए तो 70 साल, दो माह 22 दिन रामलला का विग्रह मूल गर्भगृह में रहा। मार्च 2020 से लेकर अब तक अस्थाई मंदिर में है। इसी दौर में लगभग 27 साल रामलला के विग्रह को तिरपाल में गुजारने पड़े हैं।

फैक्ट फाइल
  • 22/23 दिसम्बर 1949 की रात विवादित ढांचे के गर्भगृह में प्रकटे रामलला। 
  • 06 दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा ढहा दिया गया।
  • 24/25 मार्च 2020 को अस्थाई मंदिर में स्थापित हुए रामलला। 
  • अब 3 साल, 9 माह, 22 दिन बाद 22 जनवरी 2024 को पुनः मूल गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित होगा रामलला का विग्रह।

यह भी पढ़ें: राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में वाराणसी के इस संत को मिला पहला न्योता, तैयार लिस्ट में जानिये और किनका है नाम?

संबंधित समाचार