लखनऊ : एसजीपीजीआई ने परिजनों को वापस किये रूपये, ओटी में आग लगने से चली गई थी बच्चे की जान

लखनऊ : एसजीपीजीआई ने परिजनों को वापस किये रूपये, ओटी में आग लगने से चली गई थी बच्चे की जान

लखनऊ, अमृत विचार। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की तरफ से बृजभूषण यादव को 47200 रूपये वापस कर दिये गये हैं। एसजीपीजीआई प्रशासन ने इस बात की पुष्टि की है। रूपये मिलने के बाद परिजन शव लेकर लौट गये हैं। 

दरअसल, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के पुरानी बिल्डिंग स्थित ओटी एक में सोमवार दोपहर 12.40 पर मॉनिटर में स्पार्क होने के कारण आग लग गई थी। आग पहले वर्क स्टेशन पर और बाद में ओटी मे फैल गयी। इस आग के कारण ओटी में सर्जरी के लिए लाये गये दो मरीजों की मौत हो गई। जिन दो मरीजों की मौत हुई उसमें पीलीभीत निवासी एक महिला और दूसरा मरीज एक महीने का बच्चा था। बच्चे के परिजन गाजीपुर निवासी हैं। बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने सीवीटीएस विभाग के डॉक्टरों से सर्जरी के लिए जमा किये हुये पैसे वापस मांगे थे, लेकिन परिजनों का आरोप था कि उनको पैसे के लिए एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर दौड़ाया जा रहा है। परिजनों के मुताबिक जब उनके आयुष्मान कार्ड के रूपये संस्थान के खाते में आ गये थे, तो उनके जमा रूपये वापस मिलने चाहिए। पैसे जमा करते समय विभाग के डॉक्टरों ने यही आश्वासन दिया था। 

पत्र

जिसके बाद अमृत विचार ने SGPGI : पहले आग और अब व्यवस्था दे रही दर्द, परिजन बोले-  बच्चा तो रहा नहीं, जमा पैसा वापस पाने के लिए भटक रहे हम शीर्षक से वेबसाइट पर समाचार प्रकाशित किया था। जिसके बाद समाचार का असर हुआ है और पीड़ित को उसके जमा किये हुये रूपये वापस मिले हैं। 

यह था मामला

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में सोमवार को बड़ा हादसा हो गया था। आग लगने से एक 26 वर्षीय महिला और एक महीने के बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई थी। गाजीपुर निवासी बृजभूषण यादव ने अपने 1 माह के बच्चे को बीते 11 दिसंबर को इलाज के लिए एसजीपीजीआई के सीवीटीएस विभाग में भर्ती कराया था। पीड़ित परिवार के राम सुजान यादव ने आरोप लगाया था कि बहुत मुश्किल से हमने पैसा इकट्ठा कर बच्चों के इलाज के लिए जमा किया था। सर्जरी के एक दिन पहले ही पैसे का इंतजाम हो पाया था। हालांकि बाद में आयुष्मान कार्ड का भी पैसा आ गया और करीब 2 लाख रुपए जमा भी हो गए। अब उनका जमा किया हुआ रुपए उन्हें वापस चाहिए। जिसके चलते वह बीती रात से काउंटर दर काउंटर भटक रहे हैं। कोई कहता है यहां चले जाओ कोई कहता है वहां चले जाओ, लेकिन हमारा काम कहां से होगा यह बताने वाला कोई नहीं। उन्होंने सवाल उठाया था आज बच्चे का पोस्टमार्टम होना है। उसके बाद अब हम चले जाएंगे और फिर एसजीपीजीआई क्या अपने पैसे के लिए दौड़ते रहेंगे।

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