बरेली: पीडब्ल्यूडी के बाद नगर निगम में भी छोटे ठेकेदारों के लिए ''न'', कड़ी शर्तें और मशीनों की अनिवार्यता लागू, नहीं डाल पा रहे हैं टेंडर

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Published By Om Parkash chaubey
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प्रभारी मुख्य अभियंता से मिला कॉन्ट्रैक्टर वेलफेयर एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल, बोले- गलियों में ट्रॉली तक नहीं पहुंच सकती, वहां भी मशीनों को बता रहे हैं जरूरी

बरेली, अमृत विचार : निर्माण कार्य कराने वाले विभागों में छोटे ठेकेदारों के लिए काम मिलने के अवसर कम होने शुरू हो गए हैं। पीडब्ल्यूडी के बाद अब नगर निगम में भी इस तरह की शर्तें लागू कर दी गई हैं जिन्हें पूरा करना छोटे ठेकेदारों के बस की बात नहीं है। इनमें उन्हें सबसे ज्यादा निराश करने वाली शर्त मशीनों की अनिवार्यता है। ठेकेदारों का कहना है कि जिन गलियों में ट्रॉली तक नहीं पहुंच सकती, उनमें भी मशीनों से काम करने की शर्त लागू की जा रही है।

परेशान ठेकेदारों का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को नगर निगम कांट्रेक्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेश सोना के नेतृत्व में प्रभारी मुख्य अभियंता डीके शुक्ला से मिला। उन्होंने कहा कि नगर निगम अब गिने-चुने बड़े ठेकेदारों से ही काम कराना चाहता है। नई शर्तों में किसी भी काम के लिए मशीनों की उपलब्धता को अनिवार्य कर दिया गया है।

ठेकेदारों ने कहा कि वार्ड की गलियों में जहां ट्रॉली तक नहीं पहुंच पाती, वहां मशीनों को कैसे ले जाकर काम हो सकता है। अफसर भी यह जानते हैं, ऐसे में यह शर्त ठीक नहीं है। डीके शुक्ला ने ठेकेदारों से कहा है कि वह अपने टेंडर में लिखकर दें कि उनके पास प्लांट नहीं है, इसलिए काम नहीं हो पाएगा। इस पर ठेकेदारों ने कहा कि यह लिखने से तो टेंडर कंडीशनल हो जाएगा।

ठेकेदारों ने कई और भी समस्याएं गिनाईं। कहा, नगर निगम की पुरानी व्यवस्था है कि टेंडर में कोई कागज कम होने पर ठेकेदार से उसे बाद में भी दे सकता है लेकिन अब कागज पूरे करने के बाद भी उसका टेंडर रद्द कर दिया जा रहा है। ठेकेदारों ने इस पर विरोध जताते हुए इसे मनमानी बताया।

इसके अलावा 15वें वित्त के कामों से भी सामान्य ठेकेदारों को बाहर कर दिए जाने का आरोप लगाया। प्रतिनिधिमंडल में अनुपम गुप्ता, मृदुल कुमार, सुधांशु सक्सेना, पंकज, अमित खंडेलवाल, नीरज भाटिया, शाकिर मियां आदि ठेकेदार शामिल थे।

पुराने बकाया भुगतान न करने पर भी ठेकेदारों ने जताई नाराजगी: ठेकेदारों ने प्रभारी मुख्य अभियंता से बातचीत में उनके पुराने बकाया भुगतान न किए जाने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि एक तरफ नगर निगम पुराने भुगतान अटकाए हुए है, दूसरी तरफ उन्हें नए कामों से भी वंचित किया जा रहा है। इससे उनके सामने संकट खड़ा हो गया है। प्रभारी मुख्य अभियंता ने उन्हें जल्द भुगतान कराने का आश्वासन दिया है।

पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों ने भी लगाया था यही आरोप: छोटे ठेकेदारों को काम न देने का आरोप कुछ ही दिन पहले पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार भी लगा चुके हैं। पीडब्ल्यूडी की ओर से गन्ना विभाग की कई छोटी-मोटी सड़कों का निर्माण होना था जिसके लिए कई छोटे ठेकेदारों ने टेंडर डाले थे लेकिन उनके टेंडर निरस्त कर सड़कों का निर्माण पैकेज में कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी। छोटे ठेकेदारों के विरोध करने पर मुख्य अभियंता ने सफाई दी थी कि शासन के निर्देश पर यह नीति लागू की गई है।

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