प्रयागराज: अब कोहरे में भी पटरियों पर सरपट भागेगी ट्रेन, इस डिवाइस के लगने से हादसों में आएगी कमी!, पढ़िये खास खबर!

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Published By Sachin Sharma
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प्रयागराज। यात्रियों की कोहरे में ट्रेन हादसे और ट्रेनों के लेट लतीफी व ट्रेन रद्द होने की चिंता रेल प्रशासन ने खत्म कर दी है। रेल विभाग की तकनीकी व्यवस्था ने अब रेल के मुसाफिरों की राह को आसान कर दिया है। अब आप ठंड में भी पूरी तरह सुरक्षित रेल यात्रा का आनंद ले सकेंगे। 

उत्तर मध्य रेलवे ने हर साल ठंड के मौसम में पड़ने वाले कोहरे के चलते ट्रेनों के परिचालन पर पड़ने वाली समस्याओं से निपटने इस लिए परेशान रहती थी। लेकिन अब इन सभी परेशानियों से निपटने के लिए रेल विभाग ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है। इस प्लान में बड़ी भूमिका तकनीक की है। जिसके इस्तेमाल के बाद अब घने कोहरे में भी ट्रेनों पटरियों पर सरपट दौड़ेंगी। 

इसके साथ ही दुर्घटना की भी कोई संभावना नहीं होगी। जी हां, ये तकनीकि के इस इस्तेमाल से संभव हुआ है। दरअसल उत्तर मध्य रेलवे ने इस साल सागर ( एमपी) से लेकर पलवल तक और गाज़ियाबाद से लेकर मुगलसराय तक के उसके बड़े क्षेत्र में चलने वाली करीब 600 ट्रेनों में फॉग सेफ डिवाइस इंस्टाल लगवाया है। 

यह डिवाइस सिग्नल के 500 मीटर से 1 किलोमीटर पहले ही लोको पायलटों को सतर्क कर देता है। इसमें खास बात यह है कि इस डिवाइस के लगने के बाद ट्रेनों को 75 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलाया जा सकता है। जबकि बिना इस डिवाइस के अधिकतम स्पीड घटकर 60 किलोमीटर तक हो जाती है।

हर साल दिसंबर और जनवरी में घने कोहरे के चलते ट्रेनों का संचालित प्रभावित हो जाता था। मुसाफिरों को कई बार कई दिनों देरी से चलने वाली ट्रेनों के इंतज़ार में स्टेशनों पर वक़्त गुजारते, ट्रेनों के सफर कई गुना अधिक समय होने की मुश्किल उठानी पड़ती थी। 

कई बार तो रिज़र्वेशन होने के बाद भी ट्रेन कैंसिल हो जाती थी। कई बार सिग्नल दिखाई नहीं देने की वजह से हादसों की भी आशंका बनी रहती है। इसे देखते हुए कोहरे से प्रभावित क्षेत्र में चलने वाली सभी गाड़ियों के इंजनों में फाग सेफ डिवाइस लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशनों, क्रासिंगों और सिग्नलों पर पारंपरिक नियमों और संसाधनों को चालू रखा जाएगा। 

क्या है फाग सेफ डिवाइस

फाग सेफ डिवाइस एक बैटरी ऑपरेटेड यंत्र होता है। जिसे ट्रेन के इंजन में रखा जाता है। इसमें जीपीएस की सुविधा होती है। इस यंत्र में एक वायर वाला एंटीना होता है, जिसे इंजन के बाहरी हिस्से में फिक्स कर दिया जाता है। यह एंटीना इस डिवाइस में सिग्नल को रिसीव करने के लिए लगाया जाता है। 

कोहरे के मौसम में कई बार ट्रेन के लोको पायलटों को सिग्नल हो नहीं दिखता था लेकिन ये डिवाइस जीपीएस सिग्नल की मदद से करीब एक किलोमीटर पहले ही लोको को आने वाले कि सूचना दे देता है। 

जिसके बाद लोको एलर्ट हो जाता है और जरूरत के मुताबिक ट्रेन की रफ्तार को घटा बढ़ा लेता है। फॉग सेव डिवाइस न केवल अपने मॉनिटर पर सिग्नल की सूचना देता है बल्कि उसका रेडिया बार बार बोलकर भी सूचना देता है कि सिग्नल कितनी दूर है। 

रेलवे ने कोहरे से निपटने के दूसरे उपाय भी किए हैं, ताकि ट्रेन मुसाफिरों की मुश्किल कम से कम हो जाये। ट्रेनों के परिचालन में (फाग सेफ डिवाइस) तकनीकी की मदद से अब कोहरे और दूसरी तरह की मुश्किलों का सामना करना आसान हो जाएगा।

                                                  हिमांशु शेखर उपाध्याय, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर मध्य रेलवे

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