लखीमपुर-खीरी: रोडवेज सेवा के लिए ग्रामीणों को करना होगा और इंतजार, सर्वे रिपोर्ट पर शासन की नहीं लगी मुहर

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Published By Moazzam Beg
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लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों के रूटों पर रोडवेज बस सुविधा पाने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। वजह है कि शासन ने अभी तैयार किए गए मसौदे और रूट सर्वे प्लान को मंजूरी नहीं दी है। इससे अब इस सेवा का लाभ वर्ष 2024 में ही मिलने की संभावना है।

जिले में ग्रामीण क्षेत्र के रूटों पर रोडवेज बसों का संचालन नहीं होता है। इससे लोग निजी बसों व अन्य संसाधनों से आते जाते हैं। प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर में ग्रामीण क्षेत्रों के रूटों पर परिवहन विभाग की बसों का संचालन करने का निर्णय लिया था। सरकार की मंशा थी की इससे शहर, नगर, कस्बों से दूर स्थित गांवों के लोगों को आवागमन का जहां आसानी से संसाधन उपलब्ध होगा। वहीं रोडवेज विभाग की आय भी बढ़ेगी। ग्रामीण रूटों पर रोडवेज बस संचालन की योजना के तहत करीब दो महीने पहले जिले में रूटों का सर्वे कराया गया था। 

सर्वे के दौरान यह भी देखा गया कि किस रूट पर कितने गांव आते हैं। एक दूसरे गांव की दूरी, आबादी क्या है। सड़कों की हालत कैसी है। यह सर्वे उन रूटों का किया गया, जिन पर  उन रूटों परिवहन विभाग और निजी बसें संचालित नहीं हो रही हैं। लखीमपुर डिपो ने 10 ब्लॉकों के 13 ग्रामीण रूटों का सर्वे किया था और 254 किलोमीटर दूरी के 13 ग्रामीण रूटों का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट  शासन को भेज दी थी। 

सर्वे में लखीमपुर डिपो की टीम ने लखीमपुर, बेहजम, नकहा, बिजुआ, ईसानगर, धौरहरा, रमियाबेहड़, निघासन, मितौली व फूलबेहड़ के ब्लॉक के 13 रूटों पर सर्वे किया। इन मार्गों में पतरासी से बड़ागांव, पतरासी से फूलबेहड़, ढखेरवा से पढुवा होकर ठकुरीपुरवा, रमियाबेहड़ से रानीपुर, लखीमपुर से रामापुर होकर शाहपुर, लखीमपुर से अलीगंज, लखीमपुर से फूलबेहड़, फरधान से भदूरा-गुलौला मार्ग, शारदानगर से जटपुरवा, करनपुर से सलिहाबाद होकर ओयल,  ढखेरवा से धौरहरा, सिसैया से दुर्गापुर आदि रूट शामिल है।

प्रस्तावित रूटों पर आवागमन के संसाधनों का है अभाव
ग्रामीण क्षेत्रों के रूटों पर आवागमन के प्रयाप्त संसाधन न होने के कारण ग्रामीणों को नगर, कस्बों से लेकर जिला व तहसील मुख्यालय आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। तमाम ऐसे भी गांव हैं जहा के ग्रामीण कोसों पैदल या फिर साइकिलो से चलकर नगर और कस्बों को पहुंचते हैं और फिर निजी, डिपो की बसों के साथ ही अन्य संसाधनों से यात्रा करते हैं। यदि इन रूटों पर बस सेवा शुरू हो जाए तो नगर कस्बों से दूर रहने वाले ग्रामीणों को काफी सहूलियत हो जाएगी। 

ग्रामीण रूटों का सर्वे मांगा गया था, जिसे पूरा कराकर रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी तक बसों को संचालित करने को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। यदि कोई आदेश आता है तो बसों का संचालन शुरू करा दिया जाएगा। -मुकेश मेहरोत्रा, एआरएम

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