मुरादाबाद : अधूरी रह गई आस...जेल निर्माण में एस्टीमेट की स्वीकृति बनी रोड़ा, एक्स-रे मशीन भी नहीं मिली
क्षमता से अधिक बंदियों को रखने से व्यवस्था बनाने में जद्दोजहद करता रहा जेल प्रशासन, तीसरी बार भेजा संशोधित एस्टीमेट
मुरादाबाद, अमृत विचार। 2023 अलविदा होने को है और इस बार भी हाई सिक्योरिटी बैरक वाली जेल बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया और न ही कारागार के अस्पताल में एक्स-रे मशीन की सुविधा हो सकी है। वैसे नई जेल बनाने की कवायद करीब 15 साल से चल रही है। नई जेल निर्माण शुरू होने में अभी भी एस्टीमेट की स्वीकृति का पेंच फंसा है।
पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता ने दूसरी बार संशोधित कर एस्टीमेट 18 दिसंबर को फिर उप्र कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग मुख्यालय भेजा है। पहली बार संशोधित एस्टीमेट भेजने में अभियंता ने डेढ़ साल का वक्त लगा दिया था। जिला जज व डीएम की नाराजगी के बाद इन्होंने दूसरा संशोधित एस्टीमेट सितंबर के अंत में भेजा था। क्षमता से अधिक बंदियों की मौजूदगी से जेल प्रशासन व्यवस्था बनाए रखने के लिए आज भी जद्दोजहद कर रहा है।
जेल प्रशासन को उम्मीद है कि तीसरी बार भेजा गया एस्टीमेट स्वीकृत हो जाएगा और अगले साल से नई जेल बनाने का काम भी शुरू हो जाएगा। मौजूदा जिला कारागार का निर्माण 1888 में हुआ था। यह जेल 5.51 एकड़ में बनी है। इसमें 23 बैरक हैं। इसमें तीन जिलों, अमरोहा, संभल और मुरादाबाद के बंदी निरुद्ध किए जाते रहे हैं। कुछ महीने पहले अमरोहा जिले के बंदियों को बिजनौर जिला कारागार में स्थानांतरित किया गया। इससे मुरादाबाद जेल प्रशासन को थोड़ी राहत जरूर मिली है। संभल जिले के बंदियों का स्थानांतरण रामपुर जिला कारागार में होने की सहमति बनी थी, जो अभी नहीं हो पाया है।
40 साल से जेल के अस्पताल में बंदियों को नहीं मिल रही एक्स-रे सुविधा
जिला कारागार में 20 बेड वाला अस्पताल है। दो डॉक्टर व एक फार्मासिस्ट तैनात हैं। यहां एक्स-रे मशीन की सुविधा नहीं है, न ही एक्स-रे टेक्नीशियन है। जेल अस्पताल में एक्स-रे मशीन जो है भी वह 35-40 साल पुरानी है एवं खराब होने से निष्प्रयोज्य है। एक्स-रे की जरूरत पड़ने पर बंदियों को जिला अस्पताल ले जाना पड़ता है। चूंकि वर्तमान जेल काफी भीड़भाड़ वाले इलाके में हो गई है। इसलिए बंदियों का जेल से बाहर आवागमन कराने में भी कारागार प्रशासन को वाहनों का जाम व अन्य कई तरह की चुनौतियां झेलनी पड़ती हैं। बंदी को जिला अस्पताल ले जाना हो या न्यायालय में पेश कराना हो, हर मामले में जेल प्रशासन को मार्ग पर वाहनों के जाम का झाम झेलना पड़ता है।
आठ साल पहले अधिग्रहित की गई थी जमीन
नई जेल का निर्माण मूंढापांडे थाना क्षेत्र में एयरपोर्ट के पास होना है। इसके लिए जिला प्रशासन ने करीब आठ साल पहले 96 एकड़ जमीन भी अधिग्रहित कर ली थी। यही नहीं, संबंधित जमीन की वर्ष 2015-16 रजिस्ट्री भी हो चुकी थी। अब जेल निर्माण में समस्या केवल एस्टीमेट स्वीकृत होने की शेष है।
अब तक तीन बार भेजे एस्टीमेट
- प्रथम एस्टीमेट 400.58 करोड़ रुपये का था।
- दूसरा संशोधित एस्टीमेट 454.93 करोड़ रुपये वाला भेजा था।
- अब तीसरा संशोधित एस्टीमेट 416.32 करोड़ रुपये का भेजा है।
नई जेल बनाने के संबंध में एक बार फिर पीडब्ल्यूडी वालों ने संशोधित एस्टीमेट मुख्यालय भेजा है। उम्मीद है कि अब स्वीकृति मिल जाएगी और जल्द ही धनराशि जारी हो जाएगी। एक्स-रे मशीन की सुविधा जुटाने के लिए हमने कई पत्र लिखे लेकिन, पूरी नहीं हुई। एक्स-रे टेक्नीशियन भी नहीं है।-पवन प्रताप सिंह, वरिष्ठ जेल अधीक्षक
ये भी पढ़ें : मुरादाबाद : कहीं जाम न डाल दे नये साल के जश्न में खलल, यातायात पुलिस की भी चिंता बढ़ी
