कासगंज: रहस्यों से भरा है तीर्थ नगरी सोरों, यहां जन्मे राम के पूर्वज और पुत्र
गजेंद्र सिंह, सोरोंजी। रामलला आ रहे हैं। इसको लेकर देश भर में उल्लास और उत्साह नजर आ रहा है। हर कोई भगवान श्री राम की भक्ति में डूबा हुआ है। अयोध्या में श्री राम लला की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं।
22 जनवरी को पुरोहितों के मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र नरेंद्र मोदी रामलला की प्रतिमा की स्थापना करेंगे। इस बीच भगवान श्री राम से जुड़ा रहस्य कासगंज जिले के रामछितौनी अजर सोरों में भी पाया गया है। यहां भगवान श्री राम के पूर्वज ही नहीं जन्मे थे, बल्कि उनके पुत्रों का भी जन्म जिले की धरा पर हुआ था।

तीर्थ नगरी में तीन बार आए थे भगवान श्री राम
यह तो हर कोई जानता है कि भगवान श्री राम अयोध्या के राजा थे, लेकिन अधिकांश लोग नहीं जानते कि भगवान श्री राम तीर्थ नगरी में भी आए थे। ग्रंथों में इसका जिक्र भी किया गया है। यहां रघुनाथ जी और सीताराम मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर पौराणिक है। इन मंदिरों में उनकी प्रतिमाएं विराजमान हैं। तीर्थ पुरोहितों की माने तो ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री राम के वंशज यहां जन्मे थे और सूर्यवंश की निकासी हुई थी।
भगवान सूर्य ने सोरों में 1000 वर्ष की थी तपस्या
तीर्थ पुरोहितों के पास मौजूद ग्रंथों में इस बात का जिक्र की भगवान सूर्य ने पुत्र प्राप्ति के लिए सोरों में एक वर्ष तक तपस्या की थी। फिर वैवस्वत मनु का जन्म हुआ। सूर्यवंश का प्रारंभ वैवस्वत मनु के जन्म के समय से ही माना जाता है। वैवस्वत मनु के 10 पुत्र हुए- इल, इक्ष्वाकु, करचम (नभाग), अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यंत, करुष, महाबली, शर्याति और पृषद। भगवान राम का जन्म वैवस्वत मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था।
रामछितौनी में जन्मे थे लव कुश
भगवान राम से लव और कुश ने जन्म लिया, भरत के पुत्र थे तक्ष। लक्ष्मण के दो पुत्र हुए अंगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र हुए सुबाहु और शत्रुघाती। भगवान राम के पुत्र लव कुश का जन्मदिन सहावर में समीप महर्षि बाल्मीक आश्रम में हुआ था।एक शोध के अनुसार कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। इसकी गणना करें तो कुश महाभारत काल के 2500 से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे, अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व।
भगीरथ ने सोरों में कई थी तपस्या
श्री राम के पूर्वज राजा भागीरथ ने भी सोरों में आकर तपस्या की थी। राजा सगर के पुत्रों को तारने के लिए तीर्थ नगरी में स्थित भागीरथ की गुफा पर तपस्या में लीन हो गए थे। श्री राम के छोटे भाई भरत अपनी ननिहाल कैकेय से अयोध्या जाते समय सोरों होकर ही गुजरे। इसका जिक्र भी वाल्मीकि रामायण के अयोध्याकांड में मिलता है।
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