"असर" 2024 की रिपोर्ट में भारत की ये है शिक्षा व्यवस्था, जानिए क्या है UP की स्थिति, कैसे पूरा होगा निपुण भारत का लक्ष्य

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Published By Ravi Shankar Gupta
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अमृत विचार लखनऊ। यूपी सहित देश भर के 26 राज्यों में 14 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों की शिक्षा व्यवस्था की रिपोर्ट जारी कर दी गई है। प्रथम संस्था की ओर से द एनवल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) की इस रिपोर्ट का नाम 'बियॉन्ड बेसिक्स' दिया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 14 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों में अपेक्षा के मुताबिक शैक्षिक स्तर देखने को नहीं मिला है। जो कि चिंताजनक स्थिति है। असर की इस रिपोर्ट में देश के 26 राज्यों का सर्वे किया गया है इसमें यूपी से बनारस और हाथरस का भी सर्वे शामिल है। सर्वे के मुतबिक देश में 14 से 18 वर्ष की आयु के 86.8 फीसदी बच्चों का नामांकन निजी और सरकारी विद्यालयों में हैं, वहीं वाराणसी में कुल 91.2 फीसदी बच्चों का नामांकन हुआ है। हाथरस में बच्चों का कुल नामांकन 81.07 फीसदी ही है। 

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असर की ओर से जारी रिपोर्ट में यूपी के वाराणसी की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति
 
यूपी के वाराणसी की है स्थिति

असर की रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी में 30.6 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में व बाकी प्राइवेट व अन्य शैक्षिक संस्थानों में नामांकित हैं। 16.8 प्रतिशत लड़के व 18.8 प्रतिशत लड़कियां किसी भी शैक्षिक संस्थान में नामांकित नहीं हैं। वाराणसी में 82 प्रतिशत बच्चे दूसरे स्तर तक की किताब पढ़ लेते हैं। 91.5 प्रतिशत युवाओं के घर में स्मार्टफोन है, 93.7 प्रतिशत युवा स्मार्टफोन चलाने में सक्षम हैं। 70.5 प्रतिशत युवा सप्ताह में कम से कम एक शैक्षिक गतिविधि के लिए स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं और 90.5 प्रतिशत सोशल मीडिया के लिए करते हैं।

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यूपी के हाथरस में असर की रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा व्यवस्था की स्थिति
 
हाथरस की ये है स्थिति

वहीं हाथरस में कुल नामांकित 81.7 प्रतिशत बच्चों में 27.7 प्रतिशत सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ते हैं। जबकि 18.3 प्रतिशत बच्चे कहीं नहीं पढ़ते हैं। 73 प्रतिशत बच्चे दूसरे स्तर तक की किताब पढ़ लेते हैं। हाथरस में 89.2 प्रतिशत युवाओं के घर में स्मार्टफोन है। 93.1 प्रतिशत युवा स्मार्टफोन का प्रयोग करने में सक्षम हैं। इसमें 54.1 फीसदी युवा सप्ताह में कम से कम एक शैक्षिक गतिविधि के लिए स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं। 

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असर की रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा की स्थिति, अभी और है सुधार की जरूरत
 
भाग के सवालों में पीछे हैं बच्चे 

असर की रिपोर्ट के मुताबिक 55 फीसदी बच्चे ऐसे भी हैं जो भाग के सवाल नहीं हाल कर पाते हैं। तीसरी से चौथी कक्षा के बच्चों से जिन सवालों के जवाब की उम्मीद करते हैं वहीं 14 से 18 साल के 43.3 प्रतिशत बच्चे ही ऐसे सवालों को सही से हल कर पाने में सक्षम हैं। जो स्थिति चिंताजनक है। 

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इस चार्ट के माध्यम हाथरस और वाराणसी की रिपोर्ट को आसानी से समझा जा सकता है
 
अंग्रेजी की ये है स्थिति 

वहीं अंग्रेजी विषय को लेकर जो स्थिति सामने आई है उसमें 57.3 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो अंग्रेजी के वाक्य पढ़ सकते हैं, लेकिन उनमें से 73.5 प्रतिशत बच्चे ही उनका अर्थ बता सकते हैं। काफी संख्या में ऐस भी बच्चे हैं जिनको अंग्रेजी पढ़नी तक नहीं आती है। 

लंबाई की गणना में 40 फीसदी पीछे 

सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 85 फीसदी किसी वस्तु की लंबाई की सही गणना कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि इसे रूलर पर ''''0'''' निशान पर रखा गया हो। लेकिन जब वस्तु को स्थानांतरित किया गया और रूलर पर कहीं और रखा गया, तो 40 फीसदी से कम लोग उसकी लंबाई की सही गणना कर सके। वहीं, दो-तिहाई युवा (65.1 फीसदी ) ओआरएस घोल के पैकेट पर लिखे निर्देशों को समझ सके।

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यूपी में 14 से 18 वर्ष के बच्चों की है रिपोर्ट
 
साइंस टेक्नोलॉजी दिखी रुचि

अभी तक इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, साइंस, मैथ्स यानी स्टेम में लड़कियों का दबदबा होता था। रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेम एरिया यानी साइंस, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी व मैथ्स में अब लड़कों का रुझान बढ़ रहा है। देश में 36.3 फीसदी लड़के इन विषयों में पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि लड़कियां का यहां आंकड़ा महज 28.1 फीसदी है। हालांकि, उच्च शिक्षा तक आते -आते बेटियां आगे निकल जाती हैं। वहीं, 14 से 18 आयु वर्ग में सबसे अधिक छात्र कला या मानविकी स्ट्रीम में पढ़ाई करना पसंद करते हैं। 

छह महीने के स्किल कोर्स की अधिक मांग

स्कूलों में अभी भी व्यावसायिक कोर्स यानी कौशल विकास आधारित कोर्स बहुत पापुलर नहीं हैं। स्कूलों में सिर्फ 5.6 फीसदी युवा ही व्यावसायिक कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि कॉलेजों में यह आंकड़ा 16.2 फीसदी युवा पढ़ाई के साथ रोजगार या व्यवसाय में मदद करने वाले कोर्स की पढ़ाई भी साथ में करते हैं। इसमें भी सबसे अधिक पसंदीदा कोर्स छह महीने वाले स्किल कोर्स ही हैं।

यूपी में 2026 तक पूरा करना है निपुण भारत मिशन का लक्ष्य, अभी और सुधार की जरूरत

बता दें कि यूपी में जारी शासनादेश के मुताबिक वर्ष 2026-27 तक प्राथमिक कक्षाओं में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता, संख्या ज्ञान प्राप्त करने, कक्षा तीन तक के सभी बच्चों में पढ़ने लिखने, संख्या ज्ञान में ग्रेड स्तर की अपेक्षित योग्यता प्राप्त करने के उद्देश्य से निपुण भारत मिशन के क्रियान्वयन का निर्देश दिया गया है। कक्षा एक से तीन तक के बच्चों का गणित, भाषा में अपेक्षित अधिगम स्तर सुनिश्चित करने तथा निपुण लक्ष्यों का निर्धारण किया गया है। निपुण भारत में बाल वाटिका में निर्धारित सूची में से दो अक्षर वाले पांच शब्दों को सही से पढ़ लेते हों। कक्षा एक में पांच सरल शब्दों दो अक्षर से बने वाक्य पढ़ लेते हों। कक्षा दो में अनुच्छेद को 45 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ लेते हों। पढ़ने के बाद 75 प्रतिशत प्रश्नों को सही हल कर लेते हों। कक्षा तीन अनुच्छेद को 60 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ लेते हों व अनुच्छेद को पढ़कर 75 प्रतिशत प्रश्नों की सही हल कर लेते हैं। इसी तरह से गणित विषय के लिए बाल वाटिका में दस तक की संख्याएं पढ़ने, कक्षा एक में एक अंकीय जोड़ घटाना के 75 प्रतिशत प्रश्नों को सही कर लेने की क्षमता बच्चों में विकसित करने का लक्ष्य है। 

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