पीलीभीत: चार साल से स्टाफ की कमी से जूझ रहा रामलुभाई, एडमिशन पर असर
पीलीभीत, अमृत विचार: सरकार बेटियों की शिक्षा के लिए भले तमाम योजनाएं चला रही हो लेकिन पीलीभीत में कोई खास पुरसाहाल नहीं है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक बालिका शिक्षा की तस्वीर अच्छी नहीं कही जा सकती। संसाधनों से जूझते कॉलेजों में पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है। कई जरुरी विषयों के शिक्षक नदारद हैं। कुछ इस तरह का ही हाल राम लुभाई साहनी राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय का है।
जो इन दिनों बदहाली के आंसू बहा रहा है। यहां बेटियां पढ़ने आती हैं, लेकिन पढ़ाने वाले नहीं हैं। महाविद्यालय में न प्राचार्य है, और न स्टाफ। जिस वजह से यहां वर्तमान में पढ़ रही 350 बालिकाओं का भविष्य अंधकार में हैं। विडंबना तो यह है कि विभिन्न विषयों के प्रवक्ताओं का टोटा बना है। शिक्षकों की कमी वजह से पढ़ाई पूरी तरह बाध्य हो रही है।
जिले का पहला राजकीय महिला महाविद्यालय 27 फरवरी 1997 को खुला था। विषयवार शिक्षक और प्राचार्य के पद सृजित हुए। प्राचार्य समेत नौ शिक्षक होने चाहिए, लेकिन इस समय सिर्फ तीन शिक्षक सेवारत हैं। प्राचार्य और चार विषयों के शिक्षक नहीं हैं। जिसमें बायो में प्रवक्ता बरखा छात्राओं को पढ़ा रही है।
वहीं फजर्रुल रहमान कॉमर्स के शिक्षक हैं। इनके अलावा डॉ. अंबा प्रसाद फिजिक्स की पढ़ाई करते हैं। जिन पर वर्तमान में प्राचार्य का अतिरिक्त कार्याभार भी है। वर्तमान में कॉलेज में 350 छात्राएं अध्ययनरत हैं। जहां केमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथ, बायो, जंतु विज्ञान समेत विभिन्न विषयों की पढ़ाई होती है। इस महाविद्यालय में पीजी एमएससी मैथ और एम कॉम में है। शेष स्नातक तक के लिए वैध है।
जहां बढ़ी संख्या में जिले की भर की छात्राएं पढ़ाई करने के लिए आती है। लेकिन वहां उन छात्राओं को पढ़ने के लिए शिक्षक मौजूद नहीं है। वर्तमान समय में महाविद्यालय में जंतु विज्ञान, केमिस्ट्री, मैथ और कॉमर्स में एक शिक्षक मौजूद नहीं है। इसके अलावा लंबे समय से प्राचार्य का भी पद खाली है।
आलम यह है कि केमिस्ट्री में 30 जून 2017 से शिक्षक का पद और बॉटनी शिक्षक का पद 7 जुलाई 2017 से खाली है। इसके अलावा गणित के शिक्षक का प्रकरण होने के बाद 2021 से स्थिति और बिगड़ती चली गई। जो प्रवक्ता आ रहे थे। उन्होंने भी अपना कहीं और तबादला कर लिया।
ऐसे में छात्राओं की पढ़ाई बेहतर ढंग से नहीं हो पा रही है। तीन शिक्षक ही पूरे कॉलेज को संभाल रहे हैं। ऐसे में छात्राएं कॉलेज आती है। लेकिन हाजिरी लगाने के बाद एक दो विषय की पढ़ाई करने के बाद वापस लौट जाती है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। जिस वजह से छात्राएं परेशान हैं।
गणित के शिक्षक का प्रकरण भी डाल रहा असर
वर्ष 2021 में गणित शिक्षक का एक प्रकरण सामने आया था। आरोप था कि शिक्षक के द्वारा एक छात्रा का शोषण किया जा रहा था। हालाकि इस मामले में वह बरी हो गए। लेकिन अभिभावकों के दिलों में वह बात बैठ सी गई है। जिस वजह से वह अपनी बेटियों को यहां एडमिशन कराने के लिए तैयार नहीं हो हे हैं। जिस वजह से महाविद्यालय में छात्राओं की संख्या घटती जा रही है।
पांच साल पहले तक छात्राओं की संख्या हजार के पार रहती थी। यहां छात्राओं को उस दौरान सीटें नहीं मिल पाती थी। मगर अब हाल यह है कि सीटें खाली पड़ी है। इसके अलावा शिक्षकों की कमी भी आड़े आ रही है। जिस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
सेल्फ स्टडी और कोचिंग बन रहा सहारा
राम लुभाई में पढ़ने वाली छात्राओं ने इस कॉलेज में एडमिशन तो ले लिया लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए वहां शिक्षक मौजूद नहीं है। ऐसे में छात्राएं सेल्फ स्टडी और कोचिंग का सहारा ले रहे हैं। तब जाकर छात्राएं पेपर दे पा रही हैं। वर्ष 2021 में शिक्षक न होने की वजह से बीएससी बॉटनी और केमिस्ट्री में साल भर पढ़ाई नहीं हो सकी थी। ऐसे में मजबूरी में उन्हें कोचिंग और सेल्फी स्टडी के सहारे ही पढ़ाई चल रही है। सबसे अधिक दिक्कत बीएससी की छात्राओं को आ रही है।
कॉलेज में लंबे समय से स्टाफ नहीं है। जिस वजह से परेशानी हो रही है। इसको लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को संपर्क करा चुके हैं। वर्तमान में तीन शिक्षक ही महाविद्यालय में मौजूद है। इसलिए शिक्षण कार्य करने में परेशानी आ रही है--- डॉ. अंबा प्रसाद, कार्यावाहक प्राचार्य, राम लुभाई साहनी महाविद्यालय।
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