पीलीभीत: पिंजरे से बंधी बकरी को निवाला बनाया, कुत्ते का किया शिकार और 25 कदम दूर बैठ गई बाघिन

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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पीलीभीत, अमृत विचार: रिहायशी इलाकों में सप्ताह भर से घूम रही बाघिन पिंजरे में कैद नहीं हो सकी। हालांकि बाघिन ने रात में पिंजरे से बंधी बकरी को निवाला बनाने के साथ एक पालतू कुत्ते का भी शिकार किया। गुरुवार सुबह से बाघिन पिंजरे से चंद कदम की दूरी डेरा जमाए बैठी रहीं। पीटीआर के डिप्टी रेंजर के  नेतृत्व में टीम बाघिन की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए है। वन अफसरों को उम्मीद है कि बाघिन जल्द ही पिंजरे में कैद होगी।

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बाघिन को कैद करने के लिए लगाया गया पिंजरा

कलीनगर क्षेत्र के गांव अटकोना से रेस्क्यू की गई बाघिन दोबारा जंगल से निकलकर रिहायशी इलाकों में घूम रही है। करीब सप्ताह भर से बाघिन शहर समेत गांव सड़िया के आसपास ही घूम रही है। बाघिन की लगातार चहलकदमी के चलते वन अफसरों ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका को देखते हुए शासन से बाघिन को रेस्क्यू करने की अनुमति मांगी थी। 

जिस पर चार दिन पूर्व पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने बाघिन को रेस्क्यू करने की अनुमति भी दे दी थी। अनुमति मिलने के बाद बाघिन को रेस्क्यू करने के लिए छह सदस्यीय टीम का गठन किया गया। मगर, बाघिन के लगातार मूवमेंट करने और अधिकांश समय नदी-नालों के पास घूमने से रेस्क्यू करने में आ रही बाधा को देखते हुए पिंजरे में कैद करने की योजना बनाई गई। 

बाघिन की लोकेशन बुधवार को शहर से सटे इस्लामनगर के करीब डेढ़ किमी दूर देवहा नदी के किनारे पाई जा रही थी। इस पर दोपहर बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल की देखरेख में देवहा नदी के किनारे डबरी में पिंजरा लगाया था। पिंजरे में एक बकरी अंदर और दूसरी बकरी पिंजरे के बाहर बांधी गई। बाघिन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए चार ट्रैप कैमरे भी आसपास लगाए गए। बाघिन की निगरानी के लिए पीटीआर और सामाजिक वानिकी प्रभाग की संयुक्त टीमों को लगाया गया।

इधर रात में बाघिन पिंजरे के करीब तो आई, लेकिन पिंजरे के अंदर न जाकर बाहर बंधी बकरी को निवाला बनाकर चली गई। बताते हैं कि बाघिन ने समीप ही रह रहे एक ग्रामीण के पालतू कुत्ते का भी शिकार किया। रात में डिप्टी रेंजर सुरेश पाल वर्मा के नेतृत्व में टीम को निगरानी के लिए लगाया गया था। गुरुवार सुबह सात बजे से बाघिन पिंजरे के इर्द-गिर्द ही घूमती देखी गई। 

सामाजिक वानिकी प्रभाग के वन क्षेत्राधिकारी पीयूष मोहन श्रीवास्तव ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। पीटीआर के डिप्टी रेंजर दिनेश गिरि के नेतृत्व में टीम बाघिन की निगरानी में लगी रही। टीम में फारेस्टर शीलेंद्र कुमार यादव, कौशलेंद्र यादव आदि शामिल रहे। इधर वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की बायोलॉजिस्ट प्रांजलि भुजबल भी मौके पर पहुंची और बाघिन की गतिविधियों का जायजा लिया।

बाघिन की दहाड़ सुन रात भर नहीं सोया परिवार
बाघिन को पकड़ने के लिए जिस स्थान पर पिंजरा लगाया गया है, उससे करीब 150 मीटर दूरी पर गुरपेज सिंह का घर है। गुरपेज सिंह अपने दो भाईयों के साथ रहते हैं। गुरपेज सिंह के मुताबिक देर रात बाघिन घर के पास आकर दहाड़ती रही। बाघिन की आवाजाही और उसके दहाड़ने की आवाज से उनका पूरा परिवार रात को नहीं सो सका। उन्होंने बताया कि बाघिन जहां मौजूद है, वहां उनके चारे का खेत भी है। वनकर्मियों ने उस ओर जाने पर पाबंदी लगा रखी है।

परिवार की सुरक्षा को खाबड़ तक नहीं लगाई
अमूमन जिस स्थान पर बाघ या बाघिन होते है और आसपास आबादी का इलाका होता है तो वन महकमे द्वारा परिवारों की सुरक्षा को देखते हुए खाबड़ (जाल) लगाई जाती है। गुरपेज सिंह का घर भी पिंजरे के समीप है, लेकिन उनके कहने के बाद भी उनके घर के आसपास खाबड़ नही लगाई गई।

उन्होंने बताया कि उनकी पशुशाला में 15 से 20 मवेशी है। बाघिन के हमले की आशंका के चलते उन्हें रात भर रखवाली करनी पड़ी। ड्यूटी पर मौजूद वनकर्मियों ने बताया कि परिवार को सतर्क रहने को कहा गया है। उच्चाधिकारियों का निर्देश मिलने के बाद ही खाबड़ लगाई जाएगी।

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