Special News: Unnao का राजदुलारा, कहीं शुक्लागंज, कहीं गंगाघाट तो कहीं कानपुर पुल बायां किनारा, जानें- इसके पीछे की रोचक कहानी
जिले का राजदुलारा, कहीं शुक्लागंज, कहीं गंगाघाट तो कहीं कानपुर पुल बायां किनारा
उन्नाव, प्रकाश तिवारी/अमन सक्सेना। शुक्लागंज नगर को जिले की शान माना जाता है। सरकारी इमारतों से लेकर रेलवे स्टेशन तक के अलग-अलग नाम होने से दूर-दराज से आने वाले लोग अक्सर यहां आकर भटक जाते हैं, नगर के लोग इसे शुक्लागंज कहते हैं तो कुछ गंगाघाट, तो कहीं इसे नेतुआ के नाम से जाना जाता है।

प्रशासन इसे सरकारी दस्तावेजों में भी आज तक एक नाम नहीं दिला सका है। गूगल मैप में नेतुआ ग्रामीण दिखाता है। जिससे अन्य प्रदेशों से आने वाले लोग स्थानीय लोगों से सही पता पूछते अक्सर दिखाई देते हैं।

ब्रिटिश शासनकाल में लखनऊ जाने के लिये कोई रास्ता नहीं था। जिस पर वर्ष 14 जुलाई-1875 में अवध एंड रुहेलखंड लिमिटेड कंपनी की ओर से रेजीडेंट इंजीनियर एसबी न्यूटन ने असिस्टेंट इंजीनियर ई-वेडगार्ड के साथ गंगा नदी में पुल बनाया गया था। इसके बाद रेलवे व यातायात के लिये रास्ता बना था।

जिस पर अंग्रेजों ने इसका नाम कानपुर पुल बायां किनारा रखा। उसके बाद आजादी से पहले 8 फरवरी-1935 को ज्वाला देवी शुक्ला ने शुक्लागंज की स्थापना की। 89 साल पूरे होने के बाद भी शुक्लागंज को अभी तक अपना एक नाम नहीं मिल सका है। शासकीय अभिलेखों में यह गंगाघाट दर्ज है।
जिस कारण कोतवाली, पोस्ट आफिस, पशु चिकित्सालय और आयुर्वेदिक अस्पतालों के बाहर गंगाघाट का बोर्ड लगा है। वहीं आधार कार्ड में शुक्लागंज वासियों के पता में नेतुआ उन्नाव लिखकर आता है। जो नेतुआ पुरानी ग्राम पंचायत हुआ करती थी। उसी के आधार पर सीमा का विस्तार भी हुआ था। शुक्लागंज नगर से अलग हो गया।

इसके बाद भी अब तक नेतुआ का भी नाम चल रहा है। कई प्रकार के नगर के नाम होने से अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों को शुक्लागंज में भटकना पड़ रहा है।
इस तरह सरकारी इमारतों के हैं नाम
यहां का रेलवे स्टेशन कानपुर पुल बांया किनारा के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा पुलिस स्टेशन, नगर पालिका, पोस्ट आफिस, पशु चिकित्सालय व आयुर्वेद के बाहर गंगाघाट नाम का बोर्ड है। पीएचसी के बाहर न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शुक्लागंज लिखा हुआ है। वहीं, सरकारी दस्तावेजों में नेतुआ अंकित है।
आधार कार्ड और गूगल मैप में दर्ज है नेतुआ
दूरदराज से आने वाले लोग गूगल मैप का सहारा लेते हैं। जिसमें शुक्लागंज के साथ नेतुआ भी दिखता है। जिससे आने-जाने वाले लोग भ्रमित होते हैं। वहीं लोगों के आधार कार्ड में भी नेतुआ उन्नाव ही अंकित हैं।

89 साल बाद भी शुक्लागंज को नहीं मिला नाम
89 साल पहले शुक्लागंज की स्थापना हुई थी। जिसके बाद से लेकर अब तक शुक्लागंज नगर जिसे आज तक सरकारी दस्तावेजों में अपना एक नाम नहीं मिल सका। इससे शुक्लागंज कई नामों से जाना जाता है।
सभी मूलभुत सुविधाओं से लैस है नगर
नगर व ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर यहां करीब 10 लाख की आबादी है। इसे देखते हुये शुक्लागंज में कई शॉपिंग मॉल, सिनेमा घर, रेस्टोरेंट व साप्ताहिक बाजारें हैं। जिससे रोजमर्रा की जरूरत के सामान के लिये लोगों को भटकना नहीं पड़ता है। वहीं पास में कानपुर महानगर होने से लोगों को हर सुविधाएं मिलती है।
