बरेली: एक नाली...दो नाली बंदूकें हुईं गुजरे जमाने की बात, अब पिस्टल और रिवॉल्वर का क्रेज 

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार। पहले वो दौर था, जब एक नाली और दो नाली बंदूकें लोगों की शान हुआ करती थीं। लोग इन बंदूकों को लेकर बड़े ही रुतबे के साथ निकला करते थे। लेकिन बदलते दौर के साथ ये बंदूकें गुजरे जमाने की बात हो गई हैं। अब दौर पिस्टल और रिवॉल्वर है, जिसका काफी क्रेज देखने को मिल रहा है और इनकी डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है।

इसकी एक वजह ये भी है कि पिस्टल और रिवॉल्वर को आसानी से अपने साथ कहीं भी लेकर जाया जा सकता है। साथ ही टशन भी बना रहता है। जबकि एक नाली या दो नाली बंदूक को ले जाना आसान नहीं है। जिसके चलते अब लोग इन बंदूकों को खरीदना पसंद नहीं कर रहे हैं। 

भले ही पिस्टल और रिवॉल्वर की डिमांड तेजी से बढ़ी हो, लेकिन फिर भी इनकी बिक्री में उतनी रफ्तार नहीं है। जिसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि नया लाइसेंस बनवाने की जटिल प्रक्रिया होने के कारण काफी लंबा वक्त लग जाता है। यही वजह है कि शस्त्र विक्रेताओं के कारोबार में काफी गिरावट देखी जा रही है और उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।   

लाइसेंस न बनने से बंदूक के कारोबार में गिरावट
शस्त्र विक्रेता हरजीत सिंह बिंद्रा बताते हैं कि नए लाइसेंस बनवाने में काफी परेशानी और समय लग जाता है, जिसके चलते बंदूक का व्यापार खत्म सा होता जा रहा है। हालांकि इस समय हर कोई पिस्टल और रिवॉल्वर ही लेना पसंद कर रहा है। लेकिन अब लाइसेंस कम बनने लगे हैं, जिसके कारण इनकी बिक्री में भी गिरावट आई है।

उन्होंने बताया कि पहले दो नाली बंदूकों को खरीदने से आम आदमी को रोजगार भी मिल जाता था, मगर लाइसेंस न बनने के वजह से आज ये सभी बंदूकें डेड स्टॉक हो गई हैं। खरीदार दो नाली बंदूक खरीदना तो चाहता है, मगर लाइसेंस के कारण खरीद नहीं पा रहा है। 

'सरकार बंदूकें खरीद ले तो करेंगे दूसरा कारोबार'
शस्त्र विक्रेता हरजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि उनके पास लगभग 500 बंदूकें जमा हुई हैं। क्योंकि जिनका लाइसेंस था, उनकी मौत के बाद से उनके परिवार वालों लाइसेंस नहीं मिल पाया। जिसकी वजह से अभी तक कोई भी इन बदूंकों को लेने नहीं आया और पिछले 20 से 22 साल से उनके पास ये बदूंक पड़ी हुई हैं। जिन्हें सिर्फ गिने चुने लोग ही लेने आ पाते हैं।

उन्होंने बताया कि तीन पीड़ियों से उनकी दुकान चल रही है, जिसे 50 साल से ज्यादा हो चुके हैं। पहले बंदूक का कारोबार अच्छा हुआ करता था, मगर अब यह कारोबार खत्म सा हो गया है। अब तो सरकार खुद ही इन बदूंकों को खरीद लें तो हम दुकान बंद कर देंगे और कोई दूसरा कारोबार करके अच्छा कमाएंगे।

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