Kanpur IT Raid: तंबाकू कारोबारी ने काले धन से खड़ा किया साम्राज्य, आयकर विभाग की पांचवें दिन भी जांच जारी

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में पांचवें दिन भी आयकर विभाग की रेड जारी

कानपुर, अमृत विचार। तंबाकू कारोबारी केके मिश्रा के प्रतिष्ठानों में पांचवें दिन सोमवार को भी आयकर विभाग की छापेमारी और जांच पड़ताल जारी रही। छापेमारी के दौरान आयकर अधिकारियों को कारोबारी के यहां कर अपवंचना के कई अहम सबूत मिले हैं। काले धन को खपाने के लिए संपत्तियों का उपयोग किए जाने संबंधी दस्तावेज मिलने की भी सूचना है। इसके साथ ही पान मसाला कारोबारी और तंबाकू कारोबारियों की सांठगांठ सामने आई है। अब आयकर विभाग के रडार में पान मसाला कारोबारी भी आ गए हैं। 

दिल्ली और गुजरात में अपना कारोबार शिफ्ट कर चुके शहर के तंबाकू कारोबारी केके मिश्रा उर्फ मुन्ना व उनके बेटे शिवम के प्रतिष्ठानों में सोमवार को भी आयकर विभाग की छापेमारी जारी रही। आयकर अधिकारियों के मुताबिक मुन्ना मिश्रा ने करोड़ों रुपये का कालाधन  जमीन खरीदने में खपाया है। इसके साथ ही आवास, फैक्ट्री और फार्म हाउस बनाने में भी काला धन लगाया गया है।

आयकर विभाग कारोबारी की कंपिनयों का पिछले 10 वर्षों का रिकॉर्ड खंगाल रहा है। इसी के साथ कारोबारी द्वारा 10 वर्षों में खरीदी गई संपत्तियों और उस पर किए गए निर्माण की जानकारी भी जुटाई जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक खरीदी गई संपत्ति का दाम बाजार मूल्य से काफी कम दिखाया गया है।

इसके साथ ही गुजरात के ऊंझा में बने आवास, फार्म हाउस और फैक्ट्री की जांच पड़ताल की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आयकर टीम को 18 संपत्तियों के कागजात हाथ लगे हैं, जिनकी पड़ताल का काम जांच प्रकोष्ठ को दिया जाएगा। आयकर अधिकारियों के मुताबिक कारोबारी ने 25 से 30 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर बताया है, जबकि प्राथमिक जांच में यह आंकड़ा करीब 100 करोड़ रुपये के आसपास मिला है।

कंपनी रजिस्ट्रार को दी जाएगी मुखौटा कंपनियों की जानकारी

तंबाकू कारोबारी के यहां पकड़ी गई मुखौटा कंपनियों को आयकर विभाग जल्द ही बंद करायेगा। इसके लिए विभाग के अधिकारी छापेमारी खत्म होते ही रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) को पत्र लिखकर जानकारी देगा। इसके साथ ही उन कंपनियों के द्वारा किए गए फर्जी कारोबार को भी जानकारी देगा। कारोबारी के यहां छह बोगस कंपनियां पकड़ी गई थीं। जो कानपुर, दिल्ली और कोलकाता के पतों पर पंजीकृत मिली थीं।

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