मुरादाबाद : फैक्ट्रियों की राख बनी रही है आंख की बीमारियों का गंभीर खतरा

मुरादाबाद : फैक्ट्रियों की राख बनी रही है आंख की बीमारियों का गंभीर खतरा

ठाकुरद्वारा, अमृत विचार। उत्तराखंड के काशीपुर स्थित विभिन्न फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख बड़ी समस्या बनी हुई है। अनगिनत राहगीर इस परेशानी का सामना कर रहे हैं। अब तक सैकड़ों की संख्या में लोगों की आंखों की रोशनी पर असर पड़ा है। बावजूद इसके ठाकुरद्वारा प्रशासन ने जिम्मेदारों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। 

राख कारोबारी खुले आम ट्रैक्टर-ट्रालियों से सड़कों के किनारे भूमि पटान में मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। उधर, उत्तराखंड के काशीपुर क्षेत्र में राख डालने पर प्रतिबंध है। एक महीने पूर्व भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायती पत्र देकर ठाकुरद्वारा क्षेत्र में उत्तराखंड की फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख को क्षेत्र में प्रतिबंधित करने की मांग की थी। इस मामले में स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। 

सूत्रों की मानें तो काशीपुर व जसपुर की फैक्ट्रियों के ठेकेदार अलग-अलग क्षेत्र में मिट्टी के स्थान पर राख डाल कर भराव कर मुनाफा कमा रहे है, क्योंकि मिट्टी का भराव महंगा पड़ता है। राख सस्ते दामों में मिल जा रही है। कहीं-कहीं तो राख के टीले बना दिए गए हैंख् जो हवा चलने पर उड़कर लोगों के घरों में और आंखों में जा रहा है। क्षेत्र के लोगों ने ठाकुरद्वारा में कालीराख का कारोबार करने वालों पर कार्रवाई करने और पूर्ण प्रतिबंध की मांग की है । 

साइकिल एवं बाइक से चलने वालों की आंखों में राख घुस जाती है। क्षेत्र के सैकड़ों लोग फैक्ट्रियों में काम करने जाते हैं। आते जाते रास्ते में राख आखों में गिर जाती है। मजदूर को उपचार कराने पर मजदूरी भी गंवानी पड़ती है। इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए-हेमेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व सभासद 

ट्रैक्टर-ट्राली में राख भरकर सड़कों पर डालने प्लाटों में भराव के दौरान चलने से रात उड़ती है। मेरी आंख में राख गिर जाने से करीब दो महीने तक मुझे उपचार करना पड़ा। जिसमें काफी रकम खर्च करनी पड़ी, उसके बावजूद भी रोशनी बरकरार नहीं है ।  राख पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए। -चौधरी राजेंद्र सिंह,तहसील अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन 

क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण उत्तराखंड की फैक्ट्री से ठाकुरद्वारा क्षेत्र में काली रख का कारोबार चरम पर है। इस संबंध में कई बार अधिकारियों को शिकायती पत्र देकर राख के कारोबारियों और ट्रैक्टर चालकों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई लेकिन, प्रतिबंध नहीं लगायी गयी।-प्रीतम सिंह, संयुक्त किसान मोर्चा

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महीने में राख की वजह से 10 से 15 आंख के मरीज आते रहते हैं। काली रख से आंख में जख्म हो जाता है। चुभन से लगातार पानी निकलता है। समय पर उपचार नहीं मिलने से आंखों की रोशनी पर भी असर पड़ता है। कई रोगियों को गंभीर परिस्थिति के कारण चिकित्सालय नेत्र विभाग के लिए रेफर भी करना पड़ता है।-गिरीश चंद्र गुप्ता, नेत्र परीक्षण अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 

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