Fatehpur: त्वचा को भीतर तक चीर देता है गीला रंग; डॉक्टरों ने दी ये सलाह...हर्बल रंग असली है या नकली...ऐसे करें मालूम
सूखे रंग से होली खेलना बताया जा रहा सुरक्षित
फतेहपुर, अमृत विचार। होली पर केमिकल युक्त रंगों से बाजार पट गया है। लेकिन डॉक्टर सिर्फ केमिकल युक्त रंगों को ही नहीं बल्कि रंगों को गीला करने को भी घातक बता रहे हैं। पानी में भीगने के बाद रंग त्वचा के भीतर तक चले जाते हैं। रंगों में मौजूद केमिकल त्वचा के भीतर की नाजुक कोशिकाओं को काट देते हैं इससे तरह-तरह के इंफेक्शन होने लगते हैं। इसलिए डॉक्टर गीली होली (रंग को पानी में भिगोकर) को त्वचा के लिए बहुत हानिकारक बता रहे हैं। बल्कि हर्बल रंगों की सूखी होली (रंग में बिना पानी मिलाए) को डॉक्टर त्वचा के लिए सुरक्षित बता रहे हैं।
बाल और त्वचा दोनों पर लगाएं नारियल तेल
होली खेलने जाने के पहले त्वचा पर नारियल तेल लगाने से त्वचा को कम नुकसान पहुंचता है। डॉ. पवन बाजपेयी के मुताबिक नारियल का तेल त्वचा के छिद्रों को कवर कर लेता है। इससे रंग व उसके साथ नुकसानदायक केमिकल त्वचा में प्रवेश नहीं करने पाते। होली खेलने के बाद नहाते समय तेल के साथ रंग भी धुल जाते हैं।
बार कोड से पहचानें हर्बल रंग
केमिकल युक्त रंगों के प्रति जागरूक हो चुके लोग बाजार में हर्बल रंग खरीदने जाते हैं तो समझ नहीं पाते कि कौन सा असली हर्बल रंग है। दरअसल हर्बल रंग को लेकर जागरूकता के चलते कई कंपनियों ने अपने पुराने केमिकल युक्त रंगों पर मोटे-मोटे अक्षरों में हर्बल लिख दिया है। लेकिन हर्बल रंगों की पहचान बहुत आसान है। रंग के पैकेट पर छपे बार कोड को मोबाइल फोन से स्कैन करते ही रंग की वास्तविकता खुलकर सामने आ जाती है।
गीली होली त्वचा पर कई तरह से नुकसान करती है। ठीक होने में त्वचा को महीने भर से अधिक समय लग जाता है। इसलिए लोगों को सूखी होली खेलने की सलाह दी जा रही है। जहां तक संभव हो हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल करें।- डॉ. पवन बाजपेयी, फिजीशियन
