Unnao: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नानाराव पेशवा के नाम से मशहूर नानामऊ घाट मूलभूत सुविधाओं से वंचित

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Published By Nitesh Mishra
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बारिश, धूप और शीत लहर के दौरान यात्री खुले आसमान के नीचे बैठने को विवश

उन्नाव, अमृत विचार। बांगरमऊ क्षेत्र का मशहूर नानामऊ गंगा तट और श्मशान घाट आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी विकास की बाट जोह रहा है। पक्का घाट निर्मित न होने के चलते श्रद्धालु रेत और कीचड़ पर कपड़े रखकर स्नान-पूजन करने को मजबूर हैं। शौचालय में ताला बंद होने से स्नानार्थी और शव यात्री गंगा नदी के किनारे खुले में शौच करने को मजबूर हैं। यात्रियों के लिये छाया की कोई व्यवस्था नहीं है। बारिश, धूप और शीत लहर के दौरान यात्री खुले आसमान के नीचे बैठने को विवश हैं।

आश्चर्यजनक तो यह है कि यहां के गंगा तट से थोड़ी ही दूर करीब आधा दर्जन पक्के आश्रम स्थित हैं। किंतु अभी तक आश्रमों में स्थाई तौर पर निवास कर रहे साधु-संतों को बिजली की रोशनी के दर्शन नहीं हो सके हैं। कुल मिलाकर इस विख्यात गंगा तट के विकास के नाम पर जिले के सांसद सच्चिदानंद साक्षी महराज द्वारा मात्र 100 मीटर सीसी रोड और गंगा आरती मंच का ही निर्माण कराया जा सका है। जबकि सांसद की निगाह शव यात्रियों और स्नानार्थियों की मूलभूत सुविधाओं पर नहीं जा सकी है।

नहीं बन सका पक्का घाट

सरकार की नमामि गंगा परियोजना के तहत पवित्र गंगा नदी के अधिकांश घाट पक्के निर्मित कर दिए गये हैं। किंतु स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नानाराव पेशवा के नाम से मशहूर यहां के नानामऊ गंगा तट पर आज भी धूल उड़ रही है। श्रद्धालु और शवयात्री बालू तथा कीचड़ पर अपने कपड़े उतार कर स्नान-दान करने को मजबूर हैं। घाट पक्का न होने से अबतक यहां स्नान करते समय दर्जनों श्रद्धालु गंगा की तेज धारा में विलीन हो चुके हैं।

शौचालय में लटका ताला

नानामऊ गंगा तट क्षेत्र की ग्राम पंचायत मेला आलमशाह द्वारा करीब चार साल पहले स्नानार्थियों के लिये सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था। तभी से शौचालय में ताला बंद है। शौचालय के ऊपर रखी पानी की टंकी नदारद है। शौचालय निर्माण के समय ग्राम पंचायत द्वारा नियमानुसार इंडिया मार्का हैंडपंप स्थापित नहीं कराया गया है। यात्री गंगा नदी के किनारे मल त्याग करने और पवित्र गंगा जल में शौच करने को मजबूर हैं।

मृत्यु पंजीकरण कार्यालय में लटका ताला

नानामऊ श्मशान घाट मृत्यु पंजीकरण समिति के सेक्रेटरी रामकुमार पंडा ने बताया कि शवदाह क्रिया निशुल्क होने के चलते यहां के घाट पर अंतिम संस्कार के लिये बांगरमऊ व हसनगंज तहसील क्षेत्र ही नहीं बल्कि पड़ोसी जनपद हरदोई के मल्लावां, बेंहदर व संडीला तथा लखनऊ के मलिहाबाद से भी प्रतिदिन करीब आधा सैकड़ा शव लाये जाते हैं। अंतिम संस्कार के बाद औसतन ढ़ाई हजार शव यात्री प्रतिदिन गंगा स्नान करते हैं। किंतु शव यात्रियों के लिये घाट पर छाया की कोई व्यवस्था नहीं है। मृत्यु पंजीकरण कार्यालय में भी ताला लटका हुआ है। टिन शेड चबूतरे की फर्श उखड़ चुकी है और शेड की टिन भी गायब है। बारिश, तेज धूप व लू के थपेड़ों और शीतलहर से बचने के लिए  शव यात्री और श्रद्धालु गंगा पुल के नीचे शरण लेने को मजबूर हैं।

घाट पर नहीं है विद्युतीकरण

इस मशहूर नानामऊ गंगा तट के निकट स्थित श्मशान घाट पर देर रात तक शवों के अंतिम संस्कार होते रहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, गंगा दशहरा व मौनी अमावस्या पर यहां विशाल मेला भी लगता है और सैकड़ों श्रद्धालु गंगा तट पर रात्रि में कैंप भी करते हैं। इसके बावजूद सरकार अभी तक इस महत्वपूर्ण घाट का विद्युतीकरण नहीं कर सकी है। शवयात्री रात के अंधेरे में शव का दाहकर्म एवं अन्य संस्कार करने को मजबूर हैं।

बोले जिम्मेदार

नानामऊ गंगा तट पर अव्यवस्था के संदर्भ में उपजिलाधिकारी नम्रता सिंह ने बताया कि शव यात्रियों और स्नानार्थियों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हेतु फिलहाल आश्रम के निकट दो इंडिया मार्का हैंडपंप स्थापित हैं। जल्द ही वाटर कूलर भी लगाये जाने हैं। संबंधित पंचायत सचिव को शौचालय और टिन शेड चबूतरे को दुरुस्त कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं। घाट पर रोशनी के लिये सौर ऊर्जा लाइट की जल्द स्थापना करायी जायेगी।

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