अयोध्या: निस्वार्थ सेवा की मिसाल हैं अयोध्या के आनंद मौर्य, बीकॉम के बाद नहीं मिली नौकरी तो थाम लिया ई-रिक्शा

अयोध्या: निस्वार्थ सेवा की मिसाल हैं अयोध्या के आनंद मौर्य, बीकॉम के बाद नहीं मिली नौकरी तो थाम लिया ई-रिक्शा

अयोध्या, अमृत विचार। बीकॉम करने के बाद भी ई-रिक्शा चला परिवार की गाड़ी खींचने वाले युवा आनंद मौर्य निस्वार्थ सेवा की भी मिसाल हैं। करीब दो साल से ई-रिक्शा चला रहे आनंद ने 70 साल से अधिक आयु वाले बुजुर्गों के लिए ई-रिक्शा निशुल्क कर रखा है।

इतना ही नहीं जिस भी बुजुर्ग से मिलते हैं अपना नम्बर देते हैं ताकि जरूरत पर वह बुला सके। सोमवार को जैसे ही इनके ई-रिक्शा में संवाददाता बैठा, सामने लिखी इबारत देख चौक गया। लिखा था '70 साल से अधिक बुजुर्गों के लिए निशुल्क सेवा, पूछा भाई यह काहे लिखा रखा है तो बोले बस बुजुर्गों की सेवा कर सकूं इसलिए कर रहे हैं।

आनंद ने अपने ई-रिक्शा का नाम श्रीराम एक्सप्रेस रखा है। बताया पहले तीस ई-रिक्शा संचालकों का एक व्हाटसअप ग्रुप बना रखा था लेकिन अब कई लोग नहीं हैं, आठ साथी बचे हैं। आनंद ने बताया कि दो साल से ई-रिक्शा चला रहे हैं, तब से अब तक हर रोज तीन से चार बुजुर्गों को सेवा देते हैं।

बताया सड़क पर भी कोई वृद्ध खड़ा मिल जाता है तो निशुल्क घर तक पहुंचा देते हैं। बोल भईया इससे जो सुख मिलता है उसे कह पाना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि बीकाम के बाद कई जगह प्रयास किया लेकिन नौकरी नहीं मिली तो कर्ज लेकर ई-रिक्शा निकलवा लिया। तब से बूढ़ी मां और पत्नी व दो बेटियों का पेट इसी से पल रहा है।

उन्होंने बताया कि अक्सर बुजुर्गों और असहाय लोगों को जिला अस्पताल पहुंचा देते हैं। बोले बस दुआ और आशीर्वाद मिलता रहे यही बहुत है, पैसा तो सब कमाते हैं पुण्य भी कमाना चाहिए। आनंद बताते हैं कि आठ दस लोगों का ग्रुप है जो इस काम को मिल जुल कर करता है। शक्ति नगर कालोनी क्षेत्र में रहने वाले आनंद के पिता नहीं हैं, इसलिए वह और बुजुर्गों की सेवा में तल्लीन रहते हैं।

जिंदगी से नहीं कोई गिला, खुद की मेहनत पर भरोसा

तीस वर्षीय आनंद मौर्य ने बताया कि बीकाम करने के बाद भी नौकरी से ज्यादा खुद की मेहनत को तव्वजो दी। बताया पिता के गुजरने के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभाली और अब सामान्य ढंग से गृहस्थी चल रही है। दोनों बेटियों को पढ़ा लिखा कर वह अधिकारी बनाना चाहते हैं। बताया कि रोजाना चार से पांच सौ रुपए में से दो सौ रुपए दोनों बेटियों के लिए जमा करते हैं बाकी में घर का खर्च चलाते हैं।

 

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