बरेली: गांवाें की समितियों के भवन हुए जर्जर, बैठने तक की जगह नहीं

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार: जिले के हर ब्लाॅक में साधन सहकारी समिति बनाकर किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की मंशा से समितियां गठित तो की गईं लेकिन इनकी हालत दयनीय है। किसी का भवन जर्जर है तो किसी में बैठने की जगह तक नहीं है। समितियों पर लाखों रुपये का बकाया चल रहा है। समितियों के अध्यक्षों की तरफ से भी कोई प्रयास नहीं किए गए।

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क्यारा ब्लाॅक में नौ साधन सहकारी समितियां हैं। साधन सहकारी समिति दौली रघुवर दयाल में वर्ष 2009-10 का करीब 64 लाख का बकाया चला आ रहा है। यहां तैनात रहे सचिव की मृत्यु के बाद दूसरे सचिव को कमरों और अलमारी के ताले तोड़कर चार्ज दिलाया गया। नए सचिव ने सभी सदस्यों को रजिस्ट्री से अपनी तैनाती की सूचना दी। लगभग एक हजार किसान सदस्य वाली इस समिति से लेनदेन करने वाले किसान कम हैं। 

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खादर में गांव हैं। पुराने किसान ऋण लेने के बाद अब अदायगी करने में आनाकानी कर रहे हैं। समिति के अध्यक्ष कदीर अहमद ने बताया कि समिति में लोन मिलता नहीं है, इसलिए लोग सदस्य नहीं बनते हैं। फिर भी लगभग 700 सदस्य हैं। पुराना बकाया चलता आ रहा है। समिति में पहले उनका बेटा और भाई अध्यक्ष रह चुके हैं।

इटौवा सुखदेवपुर समिति के अध्यक्ष जेएस यादव ने बताया कि समिति का भवन पहले जर्जर था लेकिन अब बन गया है। समिति ठीक चल रही है। महेशपुरा ठाकुरान समिति के अध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि समिति से खाद और लोन बांटा जा रहा है। समिति की लिमिट बढ़नी चाहिए ताकि लोन ज्यादा मिले।

साधन सहकारी समिति सिमरा बोरीपुर की स्थिति ठीक नहीं है। यहां का गोदाम खराब होने की वजह से खाद को बाहर बनी दुकानों में रखते हैं। यहां बैठने की भी व्यवस्था नहीं है। इस साल ज्यादा लोन नहीं बंटा है। समिति के अध्यक्ष महेश पाल सिंह ने बताया कि पुराने बकायेदार ज्यादा हैं। लोन की वसूली के लिए अफसर यहां आकर किसानों पर दबाव बनाएं तो कुछ वसूली हो सकती है।

भौआपुर शिवनगर समिति के अध्यक्ष बीपी सिंह ने बताया कि भवन ठीक है लेकिन बकाया ज्यादा है। यहां लगभग 65 लाख का पुराना बकाया चला आ रहा है। आपसी झगड़े ज्यादा हैं। किसान कहते हैं सचिव रिटायर हो गये हैं और वह ज्यादा रकम चढ़ा गये हैं। 15 साल से नोटिस ही दिये जा रहे हैं। यहां सचिव का वेतन ही 5-6 माह से बकाया चल रहा है।

साधन सहकारी समिति जोगीठेर के अध्यक्ष सत्येन्द्र पुरी गोस्वामी का कहना है कि वह कोई बात सचिव से कहते हैं तो वह सुनते नहीं है। समिति की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां बैठा जाए। बारिश में छत होते हुए भी यह टपकती है। गोदाम ठीक है।

वह एक साल से अध्यक्ष हैं उनके पहले जो अध्यक्ष रहे उनके कार्यकाल में भवन की मरम्मत का पैसा आया लेकिन मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति की गई। यहां के किसानों का कहना है कि समिति से खाद लेने पर उन्हें दस रुपये ज्यादा देने पड़ते हैं। क्यारा में जौहरपुर और बारीनगला समिति भी हैं।

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