लखनऊ: रामराज्य, राष्ट्रीयता व समाजवाद पर बहस जरूरी

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। बौद्धिक सभा के तत्वावधान में छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जनेश्वर के शिष्य व समाजवादी चिंतक दीपक मिश्र ने कहा कि समाजवादी विचारधारा की लड़ाई लड़ना और राजनीतिक कुरीतियों से अनवरत टकराना ही जनेश्वर सदृश विचारक नेता की सच्ची श्रद्धांजलि है । 

बौद्धिकों और समाजवादियों को राष्ट्रीय सवालों पर हर स्तर पर बहस चलानी चाहिए । दीपक ने कहा कि लोहिया की तरह छोटे लोहिया भी रामराज्य को एक समाजवादी शासन प्रणाली मानते थे और प्रेमचंद की तरह राष्ट्रवाद के नाम पर आरोपित सांप्रदायिकता के खिलाफ थे । जनेश्वर मिश्र हिंदी और अन्य लोकभाषा को मजबूत करना चाहते थे । उनकी चिंता थी कि समाज में विषमता घटने की बजाय बढ़ रही है जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है । दीपक ने कहा कि उनकी अगली पुस्तक  "रामराज्य, राष्ट्रीयता और समाजवाद " भारतीय राजनीति की ऋषि परंपरा को समर्पित होगी जिसकी एक अनमोल मोती जनेश्वर मिश्र थे । 

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संचालन करते हुए प्रो. दीपक राय ने कहा की जिस हिंदी अभियान को छोटे लोहिया जीवन पर्यंत जीए, वो आज भी अधूरा है । लोकतंत्र में लोकभाषा जितनी मजबूत होती है, आम जन के हित उतने ही सुरक्षित होते हैं । आज सभी भारतीयों विशेषकर बुद्धिजीवियों और सोशलिस्ट साथियों को जनेश्वर की तरह सामाजिक विद्वेष और आर्थिक विषमता के विरुद्ध प्रबल और प्रतिबद्ध आवाज बुलंद करने की जरूरत है । संगोष्ठी में जगमोहन यादव, यदु न्यास के अध्यक्ष नागा चौधरी, अंबुज राय समेत कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे । इसके पूर्व बौद्धिक सभा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने सुबह पशुओं, पक्षियों विशेषकर कुत्तों व कौऔं और विक्षिप्त लोगों को भोजन कराया । दीपक ने बताया कि जनेश्वर हर सुबह पशुओं और पक्षियों को बिस्कुट खिलाते थे और आस पास रहने वाले विक्षिप्तों के भोजन का प्रबंध करते थे।

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