मृत्यु भोज की जगह श्रद्धांजलि सभा का आयोजन : नेताओं और समाजसेवियों ने की सराहना
रामनगर/ चित्रकूट, अमृत विचार। क्षेत्र के ग्राम छीबों में एक परिवार ने मुखिया की मृत्यु होने के बाद मृत्युभोज कार्यक्रम की जगह श्रद्धांजलि सभा की। इस मौके पर आए नेताओं और समाजसेवियों ने इस पहल की सराहना की।
छीबों के कोटेदार रहे देवकीनंदन श्रीवास का लंबी बीमारी के बाद 18 अगस्त को निधन हो गया। मृतक के पुत्र रामचंद्र ने बताया कि वह मृत्युभोज आदि रूढ़िवादी परंपरा मानते हैं और इसकी जगह उन्होंने श्रद्धांजलि सभा की। इसमें पहुंचे लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष डा. रामकमल निर्मल ने भी इसको सही बताया। कहा कि रूढ़िवादी परंपराओं से लड़ने के लिए साहस के साथ साथ वैज्ञानिक विचार की मजबूती भी होनी चाहिए।
लोहिया वाहिनी के प्रदेश महासचिव अमरेंद्र आर्य ने कहा कि बाबा साहब ने प्रतिज्ञा ली थी कि नाश्राद्ध करूंगा न उसमें भाग लूंगा। बीएचयू की छात्रा भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की सचिव इप्शिता ने इस बात पर चिंता जताई कि पति के मृत्यु का दोष उसकी पत्नी पर थोप दिया जाता है। पत्नी को अच्छा खाना, ठीक से कपड़े न पहनने का अधिकार इत्यादि तरह तरह के पाखंड उसके ऊपर लादे जाते हैं। जबकि पत्नी की मृत्यु पर ऐसा कुछ नहीं किया जाता। यह समाज का पितृसत्तात्मक चरित्र है। एलआईसी के प्रशासनिक अधिकारी आरपी कैथल ने बताया कि अनुसूचित जाति को शिक्षा व संपत्ति रखने का अधिकार नहीं था लेकिन उसके खिलाफ संघर्ष का ही नतीजा है कि आज यह अधिकार मिल पाया है।
अब जरूरी है कि संघर्ष को बढ़ाते हुए इन कुरीतियों, ढोंग पाखंड को तोड़ा जाए। सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता ज्योति ने कहा कि पितृपक्ष में हम कौवे को अपना पिता बना लेते हैं और उसे चावल खिलाते हैं। पर जब पिता जिंदा होता है तब उसे पानी तक नहीं पिलाते। यह कृत्य सड़ी गली और पाखंडी सोच ही को दर्शाता है। डा. नरेंद्र दिवाकर ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ मृत्युभोज ही नही बल्कि सगाई, शादी विवाह या अन्य किसी प्रकार के आयोजन तक को करने के लिए विरोध अब करना होगा।
उत्तर प्रदेश पीयूसीएल अध्यक्ष सीमा आज़ाद ने श्रीवास परिवार की पहल की सराहना की कि देवकीनंदन के चिता को उनकी पत्नी निर्मला देवी ने मुखाग्नि दी। उस समय वहां उनकी बेटी योगिता देवी मौजूद थी। कार्यक्रम में बेनी दादा, शिवशंकर यादव, हीरालाल, बुद्धों यादव, अमरजीत पटेल, लवकुश इत्यादि लोगो ने अपनी बात रखी। सभी लगभग एकमत थे कि किसी भी तरह के ढोंग पाखंड का विरोध करना चाहिए। किसी भी आयोजन व कार्यक्रम में कोई भी अवैज्ञानिक पद्धति को नहीं अपनानी चाहिए। देवकी नंदन के पुत्र रामचंद्र ने सभी का आभार जताया। संचालन एडवोकेट विश्वविजय ने किया।
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