प्रयागराज : विवाह को भंग करने का क्षेत्राधिकार हाईकोर्ट के पास नहीं
अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में माना कि परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 की धारा 19 के अनुसार हाईकोर्ट केवल अपीलीय न्यायालय है। उसके पास विवाह को समाप्त करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट के समान शक्ति नहीं है। अधिनियम, 1984 की धारा 19 में परिवार न्यायालय के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील करने का प्रावधान है।
बशर्ते कि आदेश अंतर्वर्ती आदेश न हो। सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 के अनुसार किसी भी लंबित मामले में “पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी डिक्री/आदेश पारित करने का अधिकार रखता है, जबकि परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 की धारा 19 के तहत अपीलीय न्यायालय के रूप में अपने अधिकार क्षेत्र में हाईकोर्ट के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है, जिसके आधार पर वह पक्षकारों के बीच विवाह को भंग कर सकने का आदेश दे सके।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने अपर जिला जज, बदायूं के आदेश को चुनौती देने वाली सर्वेश कुमार शर्मा की प्रथम अपील खारिज करते हुए पारित किया। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी को परित्याग के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जब उसने वैवाहिक रिश्ते को पुनर्जीवित करने के वादे पर आपराधिक मामले वापस ले लिए थे, लेकिन उसे वैवाहिक घर से दूर कर दिया गया था
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