SGPGI: बढ़ा मानदेय रुकने से नाराज आउटसोर्सिंग कर्मियों ने किया प्रदर्शन, ठप हुआ काम

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: संजय गांधी पीजीआई हॉस्पिटल में बढ़ा मानदेय रुकने से नाराज आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने मंगलवार को काम ठप कर संस्थान प्रशासन के विरुद्ध प्रदर्शन किया। आधे कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन में शामिल होने से ओपीडी पंजीकरण, कैश काउंटर, टोकन काउंटर पर मरीजों-तीमारदारों की कतार लग गई। वार्ड में भर्ती मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सारा दिन इलाज प्रभावित रहा। देर शाम संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने मौके पर पहुंचकर 2 सप्ताह में बढ़ा मानदेय देने का आश्वासन देकर कर्मचारियों का धरना समाप्त कराया।

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पीजीआई प्रशासन ने अगस्त माह में गर्वनिंग बॉडी की बैठक में पेशेंट हेल्पर, डाटा इंट्री ऑपरेटर समेत 13 संवर्ग के करीब डेढ़ हजार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाने का निर्णय लिया था। सितंबर माह से ही उन्हें बढ़ा वेतन दिया जाना था, लेकिन 3 सितंबर को निदेशक ने एक आदेश जारी कर बढ़े मानदेय पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। इस माह बढ़ा मानदेय न मिलने से कर्मचारी काफी नाराज थे। बीते हफ्ते कर्मचारियों ने एक जगह एकत्र होकर नाराजगी जाहिर करते हुए निदेशक पीजीआई को पत्र लिखकर 17 सितंबर को आंशिक धरना करने की चेतावनी भी दी थी, लेकिन संस्थान प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने उनसे वार्ता नहीं की। इसी से नाराज करीब 500 कर्मचारियों ने मंगलवार सुबह प्रशासनिक भवन के सामने प्लाजा में पहुंचकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान कर्मचारियों ने संस्थान प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

दो दिन अवकाश के चलते रही मरीजों की भीड़
रविवार और सोमवार को अवकाश की वजह से मंगलवार सुबह से ही अस्पताल में मरीजों की भीड़ लग गयी। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के धरने की वजह से मरीजों-तीमारदारों की भीड़ लगी रही। इस दौरान संस्थान प्रशासन के काफी प्रयास के बावजूद मरीजों को समय से इलाज मुहैया नहीं कराया जा सका। बताया जा रहा है कि काफी मरीज बिना दिखाए ही वापस लौट गए। वहीं, मरीज सहायकों की कमी के चलते वार्ड में भर्ती मरीजों को भी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

कंपनी ने नौकरी से हटाने की दी धमकी, कर्मचारी हुए नाराज
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का आरोप है कि जैसे ही धरना शुरू हुआ तो आउटसोर्स कंपनी जीम एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड ने कर्मचारियों को एक धमकी भरा लेटर भेज दिया। लेटर में कहा गया कि अगर कर्मचारियों ने धरना नहीं समाप्त किया तो जो भी कर्मचारी धरने में शामिल होंगे, उन्हें संस्थान से हटा दिया जाएगा। ये लेटर आने के बाद कर्मचारी और ज्यादा आक्रोशित हो गए और अनिश्चितकालीन धरना देने की जिद पर अड़ गए। प्रदर्शनकारियों का आक्रोश बढ़ता देख निदेशक ने उनसे मुलाकत कर प्रदर्शन को समाप्त कराया।

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