ब्रिक्स की राह
ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के नेता संगठन के शिखर सम्मेलन के लिए 22-24 अक्टूबर को रूस के कजान में मिलेंगे। ब्रिक्स अपने पांच नए सदस्यों (मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात) का स्वागत करेगा। साथ ही कम से कम 24 अन्य संभावित सदस्य शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। सम्मेलन को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच जुलाई में हुई बैठक के बाद सम्मेलन के दौरान दोबारा द्विपक्षीय बातचीत तय हुई है।
इसके अलावा ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने आ रहे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत की संभावना है। वर्ष 2020 में गलवान मुद्दे के बाद पहली बार मोदी-जिनपिंग मुलाकात की संभावना जताई जा रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पहला मौका है, जब रूस में इतना बड़ा आयोजन हो रहा है।
पुतिन दिखाना चाहेंगे कि यूक्रेन युद्ध के लिए मास्को को अलग-थलग करने के पश्चिमी प्रयास सफल नहीं हुए हैं और रूस के दुनिया भर में मित्र हैं। संगठन में पांच नए सदस्य देश जुड़े हैं। इनमें मिस्र, इथोपिया, ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। जैसे-जैसे ब्रिक्स का विस्तार हो रहा है यह विश्व मामलों में अधिक प्रभावशाली खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है। इस समूह के सदस्य देशों की जनसंख्या विश्व की 45 प्रतिशत है।
सऊदी अरब और ईरान जैसे पश्चिम एशियाई देशों का नए सदस्यों के रूप में शामिल होना उनके पर्याप्त ऊर्जा संसाधनों के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। सऊदी अरब एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है और इसके तेल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा चीन व भारत को जाता है। सामूहिक रूप से इसके सदस्यों की अर्थव्यवस्थाओं का कुल मूल्य लगभग 28.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 28 प्रतिशत) है। इस समूह के सदस्यों (ईरान, सऊदी अरब तथा यूएई) की वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन में लगभग 44 प्रतिशत की भागीदारी है।
मिस्र और इथियोपिया की ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ तथा लाल सागर क्षेत्र में रणनीतिक अवस्थिति है, जो महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों के निकट होने के कारण अत्यधिक भू-रणनीतिक महत्व के क्षेत्र हैं। उनकी उपस्थिति इस क्षेत्र में ब्रिक्स के भू-राजनीतिक महत्व को बढ़ाती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-मध्य पूर्व संघर्ष को देखते हुए ब्रिक्स सम्मेलन में लिए गए फैसलों के दूरगामी असर होंगे। दुनिया के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।