Allahabad High Court Decision : न्यायिक अधिकारी के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने वाले आरोपित अधिवक्ता को मिली जमानत
![Allahabad High Court Decision : न्यायिक अधिकारी के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने वाले आरोपित अधिवक्ता को मिली जमानत](https://www.amritvichar.com/media/2024-12/कोर्ट3.jpg)
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महिला न्यायिक अधिकारी का पीछा करने और उसे परेशान करने के आरोप में कैद की सजा भुगत रहे अधिवक्ता को जमानत देते हुए कहा कि पक्षकारों द्वारा दिए गए तर्कों और अपराध की प्रकृति तथा दी गई सजा की मात्रा को ध्यान में रखते हुए आरोपी को जमानत पर रिहा करना उचित प्रतीत होता है। कोर्ट ने माना कि पुनरीक्षणकर्ता 11.7.2023 से जेल में बंद है और लंबित मामलों के कारण याची द्वारा दाखिल पुनरीक्षण पर शीघ्र फैसला होने की संभावना भी नहीं है।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकलपीठ ने जुलाई 2023 से जेल में निरुद्ध मोहम्मद हारुन को जमानत देते हुए पारित किया। दरअसल हारून ने हमीरपुर जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करते समय एक न्यायिक अधिकारी का लगातार पीछा किया, अश्लील टिप्पणियां की और उसकी निजता में दखल दिया। शिकायतकर्ता (महिला न्यायिक अधिकारी) ने हारून के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए 19 अगस्त 2022 को कोतवाली नगर, हमीरपुर में प्राथमिकी दर्ज करवाई। जिस पर सुनवाई करते हुए हमीरपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अधिवक्ता को दोषी करार देकर 4 साल की सजा सुनाई।
बाद में इसी आदेश को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, हमीरपुर ने बरकरार रखा। इसी आदेश को चुनौती देते हुए याची ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की। याची के अधिवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि हारून ने अपनी सजा के 2 साल से ज्यादा समय पहले ही काट लिए हैं जो अधिकतम अवधि का हिस्सा है। उन्होंने यह भी बताया कि कोर्ट में लंबित मामलों के कारण जल्दी सुनवाई की संभावना नहीं है। अंत में कोर्ट ने याची की कैद तथा लंबित मामलों की संख्या के कारण अंतरिम राहत उचित मानते हुए 50 हजार के निजी मुचलके और सामान राशि के दो जमानतदारों की शर्त पर अभियुक्त को जमानत दे दी।
यह भी पढ़ें- Maha Kumbh की अभेद्य सुरक्षा : जल-थल और वायु सेना करेगी मेले की निगरानी