अयोध्या: सर्दी में ठिठुर रहे 71 गौशालाओं में संरक्षित 16 हजार पशु, बचाव के लिए नहीं किए गए कोई इंतजाम
अयोध्या, अमृत विचार। सर्दी की सिहरन शुरू हो गई है लेकिन अभी तक जिले की 71 गौशालाओं में संरक्षित किए गए 16000 पशुओं के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। इतना ही नहीं अभी तक काऊ कोट के लिए जूट के बोरे तक की व्यवस्था भी परवान नहीं चढ़ सकी है।
हालात यह है कि अधिकतर गौशालाओं में टिन शेड भी नहीं हैं जिसके कारण ठंड में पशुओं के लिए संकट साबित हो सकता है। हालांकि पशुपालन विभाग का दावा है कि व्यवस्था की जा रही है लेकिन हकीकत इससे इतर है। अभी हाल ही में मसौधा स्थित कान्हा गौशाला में दो पशुओं की मौत हो चुकी है जिसे लेकर एसडीएम सोहावल अशोक कुमार सैनी ने जांच के आदेश दे रखे हैं। इसके बाद भी विभाग नहीं चेत रहा है। ' अमृत विचार' की ओर से कराई गई पड़ताल में गौशालाओं की बदरंग तस्वीर उभर कर सामने आई है।
11 गौशालाओं में पल रहे 1227 गोवंश पशु, इंतजाम कुछ भी नहीं
सोहावल, अमृत विचार: शासन की दबाव नीति के चलते गोशाला संचालकों की मनमानी पर अब कुछ अंकुश नजर आने लगा है। हर ब्लॉक में पशु चिकित्सकों की तैनाती से सुधार में बढ़ोत्तरी दिखाई पड़ने लगी है। पशुओं के चारा भूसा पानी और सुरक्षा के इंतजाम गौशालाओं में मिलने लगे हैं।
पशु चिकित्साधिकारी सोहावल डॉक्टर नीरज गुप्ता की माने तो सबसे बड़ी गोशाला पिरखौली में 340, बैदरापुर 320, हाजीपुर बरसेंडी 40, सीवार 35, देवराकोट 50, कांजी हाउस रौनाही में 10 पशु पल रहे है। वहीं मसौधा के दौलतपुर में 184, सिंडहिर में 158 और कादीपुर, साखूपारा, अबनपुर सरोहा को मिलाकर पशुओं की संख्या 100 के आसपास है।
चिकित्सक डाक्टर धनंजय त्रिपाठी का कहना है कि दोनों विकास खण्डों में चल रही 11 गौशालाओं में पाबंद इन 1227 गोवंश की चारे भूसे के साथ पालन पोषण के लिए शासन से 1 अक्टूबर 23 से प्रति पशु खर्च 30 की जगह 50 किए जानें से गोशाला संचालकों को काफी मदद मिली है। ठंड में काऊ कोट और आश्रय स्थल को पन्नी से ढकने, अलाव आदि जलवाने के निर्देश गोशाला संचालकों को दिया गया है। समय समय पर प्रशासन द्वारा इनकी निगरानी की जा रही है।
पशुओं के लिए अभी तक काऊ कोट का नहीं है इंतजाम
रुदौली, अमृत विचार: तहसील के विकास खंड रुदौली के चार और मवई के तीन गौशालाओं में गोवंशों के लिए अभी काऊ कोट नहीं मिल पाए है। नगर पालिका परिषद रुदौली के कान्हा गौशाला में शेड में पॉलीथीन से लगना शुरू है। विकास खंड रुदौली की चार गोशाला पारापहाड़पुर, सराय मुगल, मीसा, सिठौली विकास खंड मवई में जैसुखपुर, सण्डवा, रानीमऊ में गोशाला में 1485 गोवंश है। इन गोवंश के लिए भूसा और हरे चारे का प्रबंध किया गया है। शीतलहरी में गोवंश को ठंड से बचने के लिए पॉलीथीन से शेड की घेराबंदी शुरू की गई है लेकिन काऊ कोट प्रबंध अभी नहीं किया गया है। नगर पालिका रुदौली के कान्हा गौशाला में 120 गोवंश है। खंड विकास अधिकारी रुदौली अमित त्रिपाठी ने बताया कि गौशाला के गोवंशों का नियमित चिकित्सीय परीक्षण चिकित्सक कर रहे। नगर पालिका के ईओ सुरेश मौर्य ने बताया कि काऊ कोट पर्याप्त मात्रा में है जिन्हें गौशालाओं को उपलब्ध कराया जाएगा।
गौशालाओं में ठंड से बचने के लिए अभी पर्याप्त सुविधाएं नहीं
मवई, अमृत विचार : मवई ब्लॉक में तीन गोशाला संचालित है। जिनमें जैसुखपुर में 106, सड़वा में 147 व रानीमऊ में 26 गोवंश मौजूद हैं। इन गौशालयों के संचालक गोवंशों की सही से देखभाल नहीं कर पा रहे हैं। इन गौशालाओं में गोवंशों के लिए सूखा चारा, पानी के अलावा अन्य कोई सुविधा नहीं है। ठंड से बचाव के लिए भी अभी तक कोई पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं दिख रही है। जैसुखपुर गौशाला में तैनात केयर टेकर रामरतन व लवकुश ने बताया कि 4 हजार रुपए वेतन हम लोगों को मिल रहा है जो पर्याप्त नहीं है।
मिल्कीपुर में भी गौशालाओं में नहीं कोई इंतजाम
मिल्कीपुर, अमृत विचार : मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र के 23 गौशालाओं में लगभग तीन हजार गौवंश संरक्षित हैं। अब ठंड बढ़ रही है। ऐसे में गौवंशों की सुरक्षा के लिए भी इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं। तहसील के विकास खंड हैरिंग्टनगंज में सात, मिल्कीपुर में सात व अमानीगंज में नौ, कुल 23 गौशालाओं में गोवंशों को अभी काऊ कोट नहीं मिल पाए हैं। हैरिंग्टनगंज पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ विवेक शुक्ला ने बताया कि वृद्ध अथवा बीमार पशु हैं, उनके लिए काऊ कोट की व्यवस्था की गई है। आगे कहा कि जानवरों के लिए अभी इतनी ज्यादा ठंड नहीं है कि उन्हें काऊ कोट पहनाया जाए। 10-12 दिसम्बर या शीतलहर बढ़ने पर गौवंश के लिए काऊ कोट एवं त्रिपाल की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि काऊ कोट की पर्याप्त व्यवस्था है। चिकित्सा व्यवस्था भी ठीक-ठाक है।
सर्दी में पशुओं के बचाव के लिए सभी इंतजाम किए जा रहे। जब बहुत ठंड होगी तब काऊ कोट की व्यवस्था की जायेगी-शिव मूर्ति प्रसाद, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी
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