लखनऊ : सत्ताधारी दल के लिए घातक है कर्मचारियों की पीड़ा, इप्सेफ ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
लखनऊ, अमृत विचार। कई बार सरकार के मंत्रियों को आउटसोर्सिंग, संविदा और स्थायी कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया जा चुका है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। कर्मचारियों की पीड़ा सत्ताधारी दल नहीं सुन रहा है, जो उसी के लिए घातक साबित हो सकती है। यह कहना है इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के प्रतिनिधियों का।
इप्सेफ की तरफ कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को पत्र भेजा गया है। पत्र में कहा गया है कि निजीकरण के विरोध में मंत्रियों को कई बार ज्ञापन सौंपा गया है, लेकिन आज तक कोई उचित कदम नहीं उठाया गया है।
इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने कहा है कि सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करने से हजारों की संख्या में कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करके वीआरएस दे दिया गया है। यह प्रक्रिया अभी रुकी नहीं है, बहुत से कर्मचारी वीआरएस की कतार में हैं। इसके अलावा आउटसोर्सिंग और संविदा पर तैनात कर्मचारियों की कई मांगों पर भी आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिससे उनमें आक्रोश फैलता जा रहा है।
वीपी मिश्र ने भारत सरकार और राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि आउटसोर्सिंग व संविदा में भर्ती तत्काल बंद करके रिक्त पदों पर नियमित भर्तियां की जाए। वहीं कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाकर उन्हें रिक्त पदों पर भर्ती में वरीयता दी जाए। समान कार्य समान वेतन दिया जाये, पब्लिक सेक्टर व सरकारी सेक्टर में समानता रखी जाए। जिससे मनमानी न हो सके।
इप्सेफ के महासचिव प्रेमचंद ने कहा है कि यह समस्या केवल एक विभाग के कर्मचारियों की नहीं है। यह समस्या रक्षा मंत्रालय,नागरिक उड्डयन, पावर, रेलवे और रोडवेज जैसे तमाम विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की है।
राष्ट्रीय उप महासचिव अतुल मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बिजली का निजीकरण करने की जानकारी मिली है। जिसके लिए आंदोलन हो रहे हैं। इप्सेफ ने उन्हें नैतिक समर्थन दिया है और प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि हस्तक्षेप करें और बिजली कर्मचारियों की समस्या का समाधान करके सामान्य स्थिति बनाए रखी जाए, क्योंकि बिजली जनता के साथ जुड़ी हुई है। भीषण समस्याएं खड़ी हो जाएंगी।
इप्सेफ ने बढ़ती महंगाई पर भी रोक लगाने की मांग की है क्योंकि महंगाई से मध्यम वर्ग तक के लोग बुरी तरह प्रभावित हो गए हैं, दो जून की रोटी एवं परिवार का अन्य खर्च चलाना दूभर हो गया है।
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