रामपुर : खजुरिया में कुत्तों का आतंक, पांच वर्ष के बालक को नोंचकर मारा डाला

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Published By Pradeep Kumar
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पिता के खेत पर जाने के बाद उनके पीछे जा रहा था बालक

बिलासपुर, अमृत विचार। खजुरिया थाना क्षेत्र में एक 5 वर्षीय बालक पर आवारा कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया। कुत्तों ने जगह जगह से नोंचकर उसे घायल कर दिया। इलाज के लिए लेकर जाते समय उसकी मौत हो जाने से परिजनों में कोहराम मच गया है।

खजुरिया थाना क्षेत्र के गांव सराय कदीम निवासी रिफाकत अली खेती किसानी से अपने परिवार का भरण पोषण करता है। शनिवार दोपहर वह किसानी के कार्य निपटाने के लिए खेत पर जा रहा था। साथ ही उसके पीछे 5 वर्षीय पुत्र अबुजर भी घर से निकल आया। इसी बीच रास्ते में आवारा कुत्तों के एक झुंड ने मासूम पर हमला कर दिया। कुत्तों ने बालक को जगह-जगह से नोंचकर उसे लहूलुहान कर दिया। बालक की चीख पुकार सुनकर स्थानीय ग्रामीण लाठी डंडे लेकर मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने लाठियां फटकार कर कुत्तों से बालक को छुड़ाया और परिजनों को घटना की सुचना दी।

सूचना पाकर मौके पर पहुंचे परिजन आनन-फानन में घायल को उठाकर इलाज के लिए एक नजदीकी चिकित्सालय ले गए। मगर यहां उसकी हालत नाजुक देख चिकित्सक ने बेहतर इलाज के लिए उत्तराखंड के रुद्रपुर शहर को रवाना कर दिया। बताया जा रह है कि इलाज को लेकर जाते समय बालक ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। बेटे की  मौत से परिजनों में कोहराम मच गया। इसकी जानकारी देते हुए प्रधान प्रतिनिधि ने बताया कि बालक अपने पिता से खेत पर साथ ले आने की जिद कर रहा था,लेकिन, वह उसे अपने साथ लेकर नहीं गए। वह अकेले ही खेत पर चले गए। जिस पर उनका पुत्र चुपके से घर से निकल कर पीछे-पीछे चला गया। जहां कुत्तों के झुंड ने उस पर हमला कर दिया। कहा कि गांव में आवारा कुत्तों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। कुत्ते इतने खूंखार हो चुके हैं कि वह अकेले व्यक्ति या मासूम पर आसानी से हमला कर देते हैं।

टांडा में मदरसे के छात्र की भी हो चुकी मौत
टांडा में भी एक वर्ष पहले एक मदरसे के छात्र को कुत्तों ने नोचकर उसको बुरी तरह से घायल कर दिया था। दिल्ली ले जाते समय उसकी मौत हो गई थी। क्षेत्र में कुत्तों का आंतक कायम है। इनको पकड़वाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। कुत्तों के झुंड जगह-जगह बैठे रहते हैं उसके बाद वहां से गुजरने वाले लोगों पर हमला करके उनको नोंच डालते हैं। इनका शिकार स्कूली बच्चे या  ग्रामीण क्षेत्रों जाने वाले बच्चे बन रहे हैं।

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