मुरादाबाद : बीकनपुर पुल टूटने से दो दर्जन गांवों के ग्रामीण 7 माह से परेशान, क्षेत्र के लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त
परेशानी :बच्चों का स्कूल आने जाने से लेकर खेती का कार्य हुआ चौपट
मुरादाबाद, अमृत विचार। मूंढापांडे ब्लॉक के दो दर्जन से अधिक गांव के लोग बाढ़ से बीकनपुर सहायक नदी का पुल टूटने से पिछले 7 महीने दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग की ओर से पुल निर्माण के लिए अब तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। हालांकि बीच में विभाग ने पुल निर्माण को लेकर हाथ खड़े कर दिए थे। जिलाधिकारी ने सेतु निगम को पुल के निर्माण करने के लिए निर्देश दिया था।
तीन महीने पहले सेतु निगम ने निर्माण के लिए पर्याप्त उपकरण न होने पर पुल का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग को वापस सौंप दिया। लेकिन, लोनिवि की ओर से अब तक काम शुरू न करने से लोग परेशान हैं। बच्चों को स्कूल जाने से लेकर ग्रामीणों को खेती के कार्य और पशुओं के चारे लाने में दिक्कत हो रही है। लकड़ी के पुल से गुजरने में जान का खतरा लोग महसूस कर रहे हैं।
बीकनपुर गांव में बाढ़ के बहाव से क्षतिग्रस्त हुए पुल के बाद बने लकड़ी के पुल से गुजर रहे ग्रामीणों को जान खतरा बना रहता है। आसपास बसे दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों को रोज इसी पुल से आना जाना होता था। जिसमें गांव गैतोरा, गोविंदपुर कला, मोहम्मदपुर, दौलतपुर, रसूलपुर, लाला टीकर, बीकनपुर, नाजरपुर और खरकपुर के अलावा दर्जनों गांव के लोगों को जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। ऐसे में लोगों को बच्चों को स्कूल तक भेजने के लिए लकड़ी के पुल को गुजरना पड़ता है।
बीकनपुर गांव के चंद्रप्रकाश ने बताया कि पुल से बीकनपुर, खरकपुर, नाजरपुर गांव के अन्य ग्रामीणों को खेती के कार्य से पुल के उस पार जाना पड़ता है। जिससे ट्रैक्टर लाने ले जाने में दलपतपुर होकर 8 से 10 किलोमीटर तक चक्कर काटना पड़ता है। पशुओं के चारा लेने के लिए मोटरसाइकिल लकड़ी के पुल पर ले जाने पर गिरने का खतरा बना रहता है। रात को आना जाना दलपतपुर पुल से किया जा रहा है। गांव की महिलाओं द्वारा खेती से जुड़े कार्य करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार गांव के लोगों ने पुल के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
हमारे खेत पुल के उस पार हैं। ऐसे में खेत पर जुताई करने के लिए ट्रैक्टर लाने ले जाने के लिए केवल दलपतपुर पुल ही एकमात्र संसाधन बचा है। इस पुल से रोज सैकड़ों ग्रामीणों का आना जाना लगा रहता था। - मोहम्मद अकबर, गांव गैतोरा
बाढ़ के तेज बहाव से पुल का इस बार अधिक भाग क्षति ग्रस्त हो गया। इससे दो दर्जन गांव के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों को भी स्कूल तक जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।- हरनंदन प्रसाद, सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर
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