पीलीभीत: पीटीआर के इको सेंसिटिव जोन में न होने दें पक्का निर्माण, डीडी ने जारी किया फरमान

पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन में कोई भी पक्का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। यदि कोई पक्का निर्माण कराता है तो उसे राजस्व और पुलिस प्रशासन के सहयोग से काम को रुकवाते हुए संबंधित भवन स्वामी के विधिक कार्रवाई की जाएगी। इसको लेकर टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर ने सभी क्षेत्रीय वनाधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व 73 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के दो साल पहले किए गए एक आदेश पर अमल करते पीलीभीत टाइगर रिजर्व की वनसीमा से 10 किलोमीटर के दायरे को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है। इको सेंसिटिव जोन घोषित होने के बाद अब इस 10 किलोमीटर के दायरे में किसी भी प्रकार के पक्के निर्माण का कार्य पर पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसको लेकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने डीएम संजय कुमार सिंह को पत्र भेजकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते सहयोग का अनुरोध किया है। इधर अब इको सेंसटिव जोन में पक्के निर्माण को लेकर टाइगर रिजर्व प्रशासन सख्त होता नजर आ रहा है। डिप्टी डायरेक्टर ने माला, महोफ, बराही, हरीपुर और दियोरिया रेंज के क्षेत्रीय वनाधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का सख्ती से अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं। जारी आदेश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के अनुसार पीलीभीत टाइगर रिजर्व की वन सीमा से 10 किलोमीटर की परिधि में किसी भी प्रकार का पक्का निर्माण कार्य पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। ऐसे में पीलीभीत टाइगर रिजर्व की वन सीमा से 10 किलोमीटर की परिधि में किसी प्रकार का पक्का निर्माण न होने दें। यदि कोई पक्का कार्य चल रहा है, तो तत्काल उसकी सूचना दें, ताकि अग्रिम कार्यवाही की जा सकें। उन्होंने निर्देश दिए कि यदि किसी भवन स्वामी के द्वारा अवैध रूप से पक्का निर्माण कार्य किया जाता है तो राजस्व विभाग एवं पुलिस प्रशासन के सहयोग से कार्य बंद कराकर भवन स्वामी के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के आदेश उल्लंघन में विधिक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। फिलहाल टाइगर रिजर्व के इस आदेश के बाद जंगल किनारे बसे लोगों में खासा हड़कंप देखा जा रहा है।
डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व मनीष सिंह ने बताया कि पीटीआर की वन सीमा से 10 किमी के दायरे को इको सेंसिटिव जोन होने के कारण इसमें किसी भी प्रकार के निर्माण पर पूर्णतया प्रतिबंध हैं। यदि कोई अवैध रूप से पक्का निर्माण कराता है तो संबंधित के विरुद्ध विधिक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। इस बाबत सभी क्षेत्रीय वनाधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
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