Bareilly: सितारगंज फोरलेन..कृषि विभाग का फार्म अधिग्रहित किया पर मुआवजा नहीं दिया
जमीन की प्रकृति सरकारी दिखाकर अभिनिर्णय में ही नहीं किया गया शामिल
राकेश शर्मा, बरेली अमृत विचार। सितारगंज फोरलेन हाईवे प्रोजेक्ट के लिए नवाबगंज में कृषि विभाग के फार्म को भी अधिग्रहित कर लिया गया। करोड़ों की इस जमीन के मुआवजे के लिए अब सरकारी विभागों में बरेली से लखनऊ तक रार मची हुई है। एक तरफ लखनऊ से जिला कृषि अधिकारी पर लगातार विभाग के खाते में मुआवजा जमा कराने का दबाव बनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ भूमि अर्जन विभाग उसके दावे को मानने को तैयार नहीं है। मुआवजा देने से भी साफ इन्कार कर चुका है। फिलहाल दोनों ओर से लगातार पत्राचार चल रहा है।
पिछले साल एनएचएआई और विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी की ओर से कृषि विभाग का दावा खारिज कर दिया गया था। ऊपर से दबाव पड़ने के बाद जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी ने अब फिर इस मामले में एनएचएआई के निदेशक और एडीएम प्रशासन को पत्र भेजकर अधिग्रहित भूमि का मुआवजा कृषि विभाग के खाते में जमा कराने का अनुरोध किया है।
जिला कृषि अधिकारी की ओर से एडीएम प्रशासन दिनेश को पत्र लिखा गया है कि 2 फरवरी 2024 को एसडीएम नवाबगंज के कार्यालय से जारी पत्र से मालूम हुआ था कि सितारगंज हाईवे के लिए अधिग्रहित भूमि में तहसील नवाबगंज के गांव बहोर नगला के गाटा नंबर 209 पर 3.3640 हेक्टेयर में से 0.891/2 हेक्टेयर भूमि का भी अर्जन किया गया है। राजस्व अभिलेखों में गाटा नंबर 209 और खाता नंबर 431 पर सीर मालिकान (मिल्कियत सरकार) के नाम दर्ज है। इस पर कृषि फार्म बना है, जो कृषि विभाग के अधीन है। अधिग्रहित भूमि के मुआवजे के लिए पहले भी आख्या भेजी गई थी।
दरअसल, कृषि फार्म के मुआवजे पर खींचतान पिछले साल की शुरुआत में ही शुरू हो गई थी। इस बारे में यहां से 5 फरवरी 2024 को अपर कृषि निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र)से आवश्यक दिशा-निर्देश मांगे गए थे। इस पर अपर कृषि निदेशक ने 1 अप्रैल 2024 को पत्र जारी करके अधिग्रहित भूमि का मुआवजा विभागीय खाते में नियमानुसार जमा कराने के निर्देश दिए। इसके बाद जिला कृषि अधिकारी ने मुआवजा विभागीय खाते में जमा कराने के लिए विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी को लिखा। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी की ओर से 26 अप्रैल 2024 को पत्र भेजकर जवाब दिया कि गाटा नंबर 209 की प्रकृति सरकारी अंकित है। इसी कारण गांव बहोर नगला के 31 मार्च 2023 को घोषित अभिनिर्णय में इस गाटा नंबर को शामिल नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में इस जमीन का मुआवजा दिया जाना संभव नहीं है।
एनएचएआई भी नहीं सुन रहा कृषि विभाग की फरियाद
जिला कृषि अधिकारी की ओर से 2 मई 2024 को एनएचएआई की कार्यान्वयन इकाई के परियोजना निदेशक को भी अधिग्रहित भूमि का मुआवजा जमा कराने के लिए पत्र लिखा गया लेकिन एनएचएआई की ओर से 1 अगस्त 2024 तक कोई कार्रवाई ही नहीं की गई। जिला कृषि अधिकारी ने एडीएम प्रशासन को लिखे पत्र में यह तर्क भी दिया है कि भूमि अधिग्रहण वर्ष 2021 में हुआ है जबकि नि:शुल्क भूमि स्थानांतरण का शासनादेश वर्ष 2024 में जारी हुआ है। इस आधार पर एडीएम प्रशासन से अधिग्रहित भूमि के मुआवजे के लिए कार्रवाई कराने का अनुरोध किया है। जिला कृषि अधिकारी की ओर से एनएचएआई के परियोजना निदेशक को भी दोबारा पत्र लिखा गया है।
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