Rampur : इकलौते बेटे का शव घर पहुंचते ही परिजनों में मची चीख-पुकार, चमोली के बर्फीले तूफान में दबकर हुई युवक की मौत

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Published By Bhawna
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गइईया नसीमगंज स्थित मृतक के घर में मौजूद लोग, जितेंद्र सिंह का फाइल।

बिलासपुर,अमृत विचार। चमोली के बर्फीले तूफान में दबकर हुई क्षेत्र के युवक की मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। सोमवार को शव गांव पहुंचने पर गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। इकलौते बेटे की मौत के बाद दिव्यांग पिता, मां और छोटी बहन का रो-रोकर बुरा हाल है।

तहसील क्षेत्र के गदईया-नसीमगंज गांव निवासी कुलवंत सिंह का 28 वर्षीय पुत्र जितेंद्र सिंह उत्तराखंड के चमोली जिले में सड़क कंस्ट्रक्शन कंपनी में वेल्डर के पद पर कार्यरत था। एक मार्च को चमोली में माणा के पास आई बर्फीली तबाही के चलते लगभग 54 मजदूर दब गए थे। जबकि, 46 मजदूरों को सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया था। इसके अलावा चार मजदूरों की मौत हो गई थी। मृतकों में जितेन्द्र सिंह शामिल था। सोमवार को मृतक के चेचेरे भाई गुरदीप सिंह व सतनाम सिंह ने बताया कि उनके परिवार को शुक्रवार की शाम हेल्पलाइन नंबर एवं कंपनी की ओर से सूचना मिली कि जितेन्द्र सिंह बर्फीली तबाही में दब गया है। उसका कोई पता नहीं चल पा रहा। इसके बाद वे दोनों भाई दो मार्च को अन्य परिजनों के साथ ऋषिकेश के लिए रवाना हो गए। 

भाई गुरदीप के अनुसार उनका भाई ठीक होगा। बस इसी आस में वह आगे की ओर बढ़ते गए, लेकिन बस एक फोन कॉल ने उनको मायूस कर दिया। बताया कि ऋषिकेश पहुंचने से पहले ही फोन आया कि उनके भाई की बर्फीले तूफान में दबकर मौत हो गई। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया और पोस्टमार्टम के बाद मृतक का शव सवेरे 8 बजे गांव पहुंचा तो,परिवार में चीख-पुकार मच गई इसके पश्चात परिवार ने सवेरे 10 बजे उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया। चेचेरे भाई गुरदीप सिंह ने बताया कि मृतक के पिता कुलवंत सिंह पेशे से किसान हैं। लंबे समय से पैरों से दिव्यांग हैं जबकि, मां सर्वजीत कौर गृहणी हैं। इसके अलावा उसकी छोटी बहन बारहवीं पास करने के बाद घर पर ही मां का काम में हाथ बंटाती है, उन्होंने बताया कि जितेन्द्र सिंह पर इकलौते कमाने वाले के साथ-साथ छोटी बहन की शादी की भी जिम्मेदारी थी।

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