संभल : दंगे में पूर्वजों को करना पड़ा था पलायन, 87 साल बाद संभल लौटा परिवार

Amrit Vichar Network
Published By Pradeep Kumar
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1937 के दंगे के बाद पूर्वजों ने पलायन कर छोड़ दिया था संभल

संभल, अमृत विचार। 1937 में संभल में बड़ा साम्प्रदायिक दंगा हुआ तो परिवार को संभल से पलायन करना पड़ा। संभल छोड़ने के बाद परिवार बदरपुर बार्डर पर जाकर बस गया। पलायन के 87 साल बाद इस परिवार ने संभल का रुख कर अपने पैत्रक मोहल्ले में परिवार के लोगों ने कुल गुरु की समाधि पर विधि विधान से पूजा अर्चना की।

बदरपुर बार्डर से शनिवार को अमरीष भटनागर पुत्र महाराज नारायण भटनागर परिवार के साथ संभल के तिवारी सराय मोहल्ले में अपने कुल गुरु गजेंद्र बाबा की समाधि पर पहुंचे। यहां परिवार के लोगों ने फूल अर्पित करते हुए धूपबत्ती जलाई और फिर प्रसाद चढ़ाकर पूजा अर्चना की। अमरीष भटनागर ने बताया कि उनके परदादा मुंशीलाल मोहल्ला तिवारी सराय में रहते थे। वर्ष 1937 में यहां साम्प्रदायिक दंगा हुआ तो परदादा मुंशीलाल मोहल्ला परिवार सहित पलायन कर तिवारी सराय से चले गए। बताया कि परदादा ने बदरपुर बार्डर पर अपना मकान बनाया और फिर परिवार वहीं का होकर रह गया। इसके बाद दादा रघुनंदन प्रसाद भी लौटकर वापस संभल नहीं आए। अमरीष भटनागर ने बताया कि गजेंद्र बाबा उनके कुलगुरु हैं और उनके आशीर्वाद के बिना परिवार में कोई शुभ कार्य नहीं होता है। परिवार में जब भी कोई शुभ कार्य होता है तो बाबा का आर्शीवाद लेने के लिए परिवार का व्यक्ति यहां पर आता है। अबकी बार पूरा परिवार अपने परदादा की जन्म और कर्मभूमि संभल आया है।

नहीं पता कौन सा था परदादा का मकान
संभल। अमरीष भटनागर ने कहा कि संभल में अब सरकार पुराने तीर्थ मंदिरों को खोजकर संवारने का काम कर रही है तो उन्होंने भी अपने कुलगुरु की समाधि को दुरुस्त करने का फैसला लिया। समाधि के चोरों तरफ अतिक्रमण के साथ ही समाधि को भी बेवजूद करने का प्रयास किया गया है। शनिवार को पूरा परिवार एक साथ यहां आया तो समाधि की साफ सफाई कर पूजा अर्चना की है। अमरीष भटनागर ने कहा कि यह नहीं पता कि परदादा का मोहल्ला तिवारी सराय में मकान कहां था, लेकिन दादा और अन्य पूर्वजों के बताने पर इतना जरूर पता चला कि तिवारी सराय में ही परदादा रहते थे।

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