अयोध्या: वक्फ संशोधन बिल को लेकर उलेमाओं ने दिया ज्ञापन, जताया विरोध

अयोध्या, अमृत विचार: वक्फ संशोधन बिल को लेकर शनिवार को मैनेजिंग कमेटी वक्फ मस्जिद टाटशाह एवं ईदगाह की ओर से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट राजेश कुमार मिश्र व सीओ सिटी शैलेन्द्र सिंह को सौंपा गया। ज्ञापन में वक्फ संशोधन बिल को लेकर गहरी आपत्ति और विरोध दर्ज कराते हुए लागू किए जाने से पहले हितधारकों से राय की मांग की गई है।
काजी शहर व इमाम टाटशाह ईदगाह शमशुल कमर कादरी के नेतृत्व में दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के संबंध में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए यह ज्ञापन प्रस्तुत कर रहे हैं। यह विधेयक, जो हाल ही में संसद में पारित हुआ है, हमारे विचार से भारतीय संविधान के मूल ढांचे और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार के खिलाफ है। विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर गंभीर आपत्ति दर्ज करते हैं और इसे वापस लेने की मांग करते हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार प्रदान करते हैं। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान धार्मिक स्वायत्तता पर आघात है। कहा गया है कि विधेयक में राज्य वक्फ बोर्ड के सदस्यों के लिए मुस्लिम होने की शर्त को बनाए रखते हुए भी दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को अनिवार्य करने का प्रावधान विरोधाभासी है, जो इसके उद्देश्य पर सवाल उठाता है।
आरोप लगाया गया है कि इस विधेयक को लागू करने से पहले मुस्लिम समुदाय के साथ व्यापक विचार-विमर्श नहीं किया गया, जिसके कारण देशभर में विरोध देखने को मिल रहा है। यह सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता है। यह भी कहा गया है कि कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण का अधिकार देना और पारंपरिक प्रणाली को बदलना वक्फ की स्वायत्तता को कमजोर करता है।
समाज का मानना है कि यह विधेयक न केवल मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर कुठाराघात करता है, बल्कि भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को भी धूमिल करता है। मांग की गई है कि इसे तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए। इस दौरान संरक्षक मुख्तारुल हसन, अध्यक्ष सैयद सुल्तान अशरफ, उपाध्यक्ष आरिफ अंसारी, सचिव सिराजुल हक, उप सचिव रेयाल अहमद खान, कोषाध्यक्ष मोईनऊदीन, सदस्य मोहम्मद नईम खान, मुनव्वर हुसैन अंसारी, सैयद मोहम्मद तकमील, मोहम्मद सुहैल, मोहम्मद अशफाक, इमरान अहमद, मोहम्मद जमील अंसारी समेत बड़ी संख्या में उलेमा व समाज के लोग मौजूद रहे।
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