संघ का साहित्य लेकर गांव-गांव जाएंगे: कानपुर में बोले मोहन भागवत- स्वयंसेवक 30 वर्षों से साथ, पर जाति नहीं जानते
कानपुर, अमृत विचार। सरसंघचालक मोहन भागवत ने शहर प्रवास के दूसरे दिन मंगलवार को संघ के छह आयामों में से एक सामाजिक समरसता के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। केशव भवन के सभागार में सरसंघचालक ने कहा कि समरसता संघ की गतिविधि ही नहीं बल्कि संघ के स्वयंसेवक का स्वभाव है। स्वयंसेवक 25 से 30 वर्षों से साथ में कार्य कर रहे हैं पर एक दूसरे की जाति नहीं जानते हैं। यही संघ का वैशिष्ट्य है। हमें अपने कार्य और स्वभाव के माध्यम से यही मानसिकता संपूर्ण समाज की निर्माण करनी है। इस दौरान प्रांत के सामाजिक समरसता प्रमुख रवि शंकर ने सामाजिक समरसता की गतिविधियों की सरसंघचालक मोहन भागवत को जानकारी दी।
केशव भवन के सभागार में मोहन भागवत ने कहा कि ऐसी कोई जाति नहीं जिसने देश के उत्थान में, देश के आए संकटों में, संघर्ष में योगदान न दिया हो। सभी जातियों ने महापुरुष दिए हैं। श्मशान, मंदिर और जलाशय (कुआं, नल, तालाब आदि) पर हिंदू समाज की सभी जातियों का समान अधिकार है। समरसता संघ के स्वयंसेवक का स्वभाव होने के कारण संघ से जुड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति में समरसता का भाव होना स्वभाविक हो जाता है। उन्होंने बताया कि शताब्दी वर्ष में संघ का साहित्य लेकर स्वयंसेवक गांव-गांव जाने वाले हैं। हमें गांव गांव जाकर समरसता के पवित्र संदेश को देना है। सरसंघचालक मोहन भागवत बुधवार 16 अप्रैल को पर्यावरण गतिविधि और कुटुंब प्रबोधन के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। यह बैठक केशव भवन के सभागार में ही होगी।
21 जिलों के जिला समरसता प्रमुख रहे
समरसता बैठक में क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रान्त प्रचारक श्रीराम, प्रान्त संघ चालक भवानी भीख, प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉक्टर अनुपम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र सिंह, सह प्रान्त प्रचारक मुनीश समेत प्रान्त के 21 जिलों के जिला समरसता प्रमुख और विभाग समरसता प्रमुख उपस्थित रहे।
हस्तलिखित पुस्तिकाएं देखीं भागवत ने
केशव भवन में प्रवेशोत्सव के बाद मंगलवार बैठक के पश्चात सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने बौद्धिक विभाग की हस्तलिखित बौद्धिक पुस्तिकाओं का अवलोकन किया। कानपुर महानगर में 136 शाखाओं ने हस्तलिखित पुस्तिका का निर्माण किया है जिसमें से 105 शाखा पुस्तिकाओं को अवलोकन के लिए सरसंघचालक के समक्ष रखा गया।
