प्रयागराज: असफल अंतरंग संबंधों के कारण आपराधिक कार्यवाही को आगे बढ़ाने की उभरती प्रवृत्ति पर HC ने जताई चिंता
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असफल अंतरंग संबंधों के परिणामस्वरूप आपराधिक कार्यवाही को आगे बढ़ाने की एक उभरती प्रवृत्ति पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान मामला एक व्यापक सामाजिक बदलाव को दर्शाता है, जहाँ अंतरंग संबंधों से जुड़ी पवित्रता और गंभीरता में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।
क्षणिक और अप्रतिबद्ध संबंध, जो अक्सर अपनी इच्छा से बनते और टूटते हैं, व्यक्तिगत जिम्मेदारी और कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग के बारे में गंभीर सवाल उठाते हैं। आजकल यह प्रचलन बन गया है कि असफल अंतरंग संबंधों के कारण दंडात्मक कानूनों के माध्यम से व्यक्तिगत मतभेद और भावनात्मक कलह को आपराधिक रंग दिया जा रहा है।
उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति कृष्णा पहल की एकलपीठ ने एक 25 वर्षीय महिला द्वारा आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन महिला थाना, बांदा में दर्ज मामले में 42 वर्षीय आरोपी अरुण कुमार मिश्रा को जमानत देते हुए की। कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कहा कि मौजूदा प्राथमिकी किसी आपराधिक गलती की वास्तविक शिकायत के बजाय असफल रिश्ते के 'भावनात्मक परिणाम' से उत्पन्न प्रतीत होती है। ऐसा लगता है कि प्राथमिकी आवेदक और पीड़िता के बीच संबंध खराब होने के बाद दर्ज की गई है और यह न्याय की वास्तविक खोज के बजाय प्रतिशोधी मंशा का संकेत है।
मामले के अनुसार पीड़िता दिल्ली में एक निजी बैंक में काम करने के दौरान आरोपी के संपर्क में आई। आरोपी ने उसे अपनी कंपनी में नौकरी दिलाने का वादा कर उसके साथ जान पहचान बढ़ाई। जनवरी 2024 में आरोपी ने पीड़िता की कॉफी में नशीला पदार्थ मिलाकर बेहोशी की हालत में उसके साथ दुष्कर्म किया।
बाद में पीड़िता को पता चला कि पहले भी तीन महिलाओं के साथ विवाह कर चुका है और उन सब से उसे एक बच्चा भी है। हालांकि याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पीड़िता याची के साथ सहमति से संबंध में थी और एफआईआर दर्ज कराने में 6 महीने की देरी हुई थी, जिसका कोई उचित स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया। अतः कोर्ट ने पीड़िता के सुशिक्षित होने को ध्यान में रखते हुए याची को जमानत दे दी।
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