प्रयागराज : लोक अदालत के फैसले को चुनौती देने पर एलआईसी को लगाई फटकार

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा एक पॉलिसीधारक के पक्ष में पारित बहुत छोटी धनराशि को चुनौती देने पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि याची यानी बीमा कंपनी ने बहुत ही दयनीय राशि के खिलाफ वर्तमान याचिका दाखिल की है। इसके साथ ही याचिका दाखिल करने में खर्च हुई कानूनी फीस को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने पाया कि याचिका को आगे बढ़ाने की लागत लोक अदालत, अलीगढ़ द्वारा दी गई राशि से अधिक प्रतीत होती है।

कोर्ट ने एलआईसी के एक वरिष्ठ अधिकारी को हलफनामे के माध्यम से यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि लोक अदालत द्वारा पारित धनराशि पॉलिसीधारक को क्यों न दी जाए। दरअसल एलआईसी ने लोक अदालत के एक आदेश के खिलाफ वर्तमान याचिका दाखिल की, जिसमें उसे मेघ श्याम शर्मा (पॉलिसीधारक) को जमा राशि 7% ब्याज और 5 हजार रुपए मुकदमेबाजी के खर्च के साथ वापस करने का निर्देश दिया गया था। उक्त आदेश पॉलिसीधारक के आवेदन पर पारित किया गया था, जिसने एलआईसी से पांच बीमा पॉलिसियां खरीदी थीं,जो बाद में पॉलिसी की शर्तों को पूरा न करने के कारण समाप्त हो गईं।

समाप्त हो चुकी पॉलिसियों के तहत कोई लाभ अर्जित ना होने के कारण लोक अदालत ने एलआईसी को जमा राशि वापस करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट के समक्ष एलआईसी ने बताया कि विपक्षी ने पॉलिसियों की शर्तों का पालन नहीं किया, इसलिए वह किसी भी राशि का हकदार नहीं है। हालांकि इस तर्क को खारिज करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विपक्षी केवल पहले से जमा की गई राशि मांग रहा है और लोक अदालत ने भी उसे कोई अतिरिक्त या अनुचित राहत नहीं दी है। इसके साथ ही लोक अदालत द्वारा पॉलिसीधारक को 74,508 रुपए देने के आदेश को चुनौती देने पर एलआईसी की खिंचाई की।

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