लखनऊः नेशनल पीजी कॉलेज में जीओ इंफार्मेटिक्स पाठ्यक्रम इसी सत्र से होगा शुरू, विद्या परिषद की बैठक में हुए कई फैसले
भूगोल से परास्नातक पर मिलेगी एमएससी की डिग्री
लखनऊ, अमृत विचार: नेशनल पीजी कॉलेज स्वायत्तशासी महाविद्यालय की विद्या परिषद (एकेडमिक काउंसिल) की आयोजित की गई। विद्या परिषद ने फैसला किया कि आगामी शैक्षणिक सत्र से एमएससी जीओ इन्फॉर्मेटिक्स का नया पाठ्यक्रम शुरू होगा। इस पाठ्यक्रम के शुरू होने से विद्यार्थियों की रोजगार अवसरों में वृद्धि होगी। पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए स्नातक में 55 प्रतिशत अंको के साथ भूगोल, विज्ञान, इंजीनियरिंग, बीआर्क, गणित, अर्थशास्त्र, सांख्यिकी, भूविज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, कृषि विज्ञान में उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
नेशनल पीजी कॉलेज में पत्रकारिता विभाग ने मास्टर इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन का पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए अनुमति का प्रस्ताव रखा। विद्या परिषद के संयोजक प्रो. राकेश जैन ने कॉलेज परीक्षा अध्यादेश 2024 में संशोधन प्रस्तुत किए। ये संशोधन राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क और यूजी डिग्री और पीजी डिग्री विनियम 2025 के अनुपालन के लिए न्यूनतम मानक निर्देशों को सम्मिलित करने के लिए आवश्यक थे। यूजीसी के नियमों में उल्लेख किया गया है कि छात्रों को स्रातक के प्रथम वर्ष से स्रातकोत्तर के अंतिम वर्ष तक प्रत्येक सेमेस्टर में 20 क्रेडिट अर्जित करने होंगे। इसप्रकार पीजी के अंत तक कुल 200 क्रेडिट अर्जित करने होंगे। विद्या परिषद द्वारा इन संशोधनों को शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से लागू करने की स्वीकृति प्रदान की गई।
बैठक की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डीके सिंह ने की। कुलपति नामित सदस्य के रूप में प्रो. सीबी शर्मा, निदेशक, स्कूल ऑफ एजुकेशन, इग्नू उपस्थित रहे। बैठक में फिल्म एवं नाट्य जगत की प्रतिष्ठित हस्ती डॉ. अनिल रस्तोगी, प्रमोद दीक्षित एवं कॉलेज के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष भी मौजूद रहे। सदस्यों का सुझाव था कि पाठ्यक्रम में कौशल आधारित विषयवस्तु का समावेश किया जाए। विद्या परिषद ने प्रो. राकेश जैन को भी भावभीनी विदाई दी, जिन्होंने वर्ष 2016 से विद्या परिषद के संयोजक के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
भूगोल से पीजी करके मिलेगा एमएससी डिग्री
विद्या परिषद ने निर्णय किया है कि भूगोल विभाग एमए के साथ-साथ विज्ञान की पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को भूगोल से परास्नातक करने पर एमएससी की डिग्री प्रदान की जाएगी। यह व्यवस्था एंथ्रोपोलीजी विभाग में पहले से लागू है। इतिहास विभाग द्वारा बीए तृतीय का आधुनिक भारत का इतिहास 1750-1950, विश्व इतिहास 19वीं से 20वीं शताब्दी और चतुर्थ सेमेस्टर का पाठ्यक्रम भारत स्वतंत्रता के बाद 1950 से 21वीं, शताब्दी पुरातत्व का परिचय को बैठक में प्रस्तुत किया गया। प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के लिए दो छोटे पेपर का पाठ्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। जिसे विद्या परिषद ने अनुमोदन प्रदान किया है।
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