Lucknow University: पढ़ाई से अधिक मनोरंजन बन गया है एआई, घटा रहा आपसी संवाद, Research में हुए कई खुलासे
लखनऊ, अमृत विचार: तकनीकी का प्रयोग और दुरुपयोग साथ-साथ चलता रहा है। नई तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) भी ज्ञान की खोज से अधिक मनोरंजन का साधन बन गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय में हुए शोध में खुलासा हुआ है कि लगभग सभी वर्ग के लोग एआई का प्रयोग जाने-अनजाने का कर रहे हैं, लेकिन यह मनोरंजन के लिए अधिक किया जा रहा है। पढ़ाई और कॅरियर संवारने में इसका प्रयोग जितना होना चाहिए वैसा नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा इसके कारण लोगों में आपसी संवाद भी कम होता जा रहा है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के शोध में एआई के प्रयोग को लेकर सरकारी, गैरसरकारी शिक्षण संस्थाओं, वर्क फ्राम होम करने वाले, सरकारी नौकरी और प्राईवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों पर शोध किया गया। इस शोध में महिलाओं को भी विशेष रुप से शामिल किया गया। मध्यम व निम्न आयवर्ग में 15 से 30 वर्ष की आयु के लोगों को शामिल किया गया, जिनकी वार्षिक आय एक से 15 लाख रुपये है। लखनऊ में 21.3 फीसद युवा एआई आधारित शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। विज्ञान की अपेक्षा कला वर्ग के छात्रों में एआई सिर्फ मनोरंजन तक सीमित है। सरकारी या गैरसरकारी संस्थाओं में केवल कारपोरेट सेक्टर में ही एआई का इस्तेमाल हो रहा है। लखनऊ में स्मार्ट फोन प्रयोग करने वालों की संख्या करीब 70 प्रतिशत है जो जाने या अनजाने एआई का प्रयोग मनोरंजन के लिए करते हैं।
चैटबाक्स एप कुंभ में हुआ लांच
प्रयागराज महाकुंभ के दौरान स्नानार्थियों की सुविधा के लिए सरकार की तरफ से एआई आधारित चैटबॉट ऐप लांच किया गया। जिसने स्नानार्थियों को महाकुंभ विषय प्रत्येक जिज्ञासा का समाधान किया। यातायात व्यवस्था से लेकर स्नान घाट, स्नान पर्व, साधु-संत, अखाड़ों की पूरी जानकारी और मेला प्रशासन की भी जानकारी इसमें एआई का प्रयोग करके दिया गया।
इन संस्थाओं को शोध में किया गया शामिल
लखनऊ विश्वविद्यालय, एकेटीयू, एमिटी, केजीएम, राजकीय ब्वॉयज और गर्ल्स कालेज, बीबीडी, एसआरएम, बीएनसीईटी व एचसीएल सहित अन्य स्टार्टअप कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों से बात की गई।
बच्चे कितना जानते हैं एआई
सीबीएसई के 53 प्रतिशत, आईएससी के 25 प्रतिशत, आईसीएसई के 14 प्रतिशत और यूपी बोर्ड के 29 प्रतिशत बच्चे एआई से अवगत हैं। 62.6 फीसद लोगों का मानना था कि एआई की विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए सरकार को कानून बनाना चाहिए। 29.1 प्रतिशत लोगों का कहना है कि एआई से भी गलतियां हो सकती हैं।
नई तकनीक आने पर लोगों की उत्सुकता बढ़नी स्वाभाविक है। एआई को लेकर शहरों और खासकर पढे लिखे लोगों में जागरुकता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रयोग मनोरंजन के लिए किया जा रहा है। जैसे-जैसे इसकी उपयोगिता समझ में आएगी, सकारात्मक प्रयोग बढ़ता जाएगा।
प्रो. डीआर साहू, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय
